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चीनी निवेशकों को नो एंट्री:कू से बाहर होगी चीनी निवेशक कंपनी शुनवेई, बेचेगी अपनी पूरी हिस्सेदारी

 

  • भारत में कू को अब तक 30 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका
  • ऐप हिंदी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, गुजराती और मराठी समेत कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है

हाल ही में चर्चा में आयी घरेलू माइक्रोब्लॉगिंग साइट कू की पैरेंट कंपनी में चीनी निवेशक अपनी हिस्सेदारी बेच कर बाहर निकल रहा है। कू के को-फाउंडर और सीईओ अपरामेय राधाकृष्ण ने कहा कि अन्य निवेशकों ने चीन के निवेशकों की 9% हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जताई है।

दरअसल, भारत सरकार और ट्विटर के बीच तनातनी के बाद कू को लोकप्रियता मिली। भारत में इसके बाद से कू को अब तक 30 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है तथा इसके 10 लाख से अधिक एक्टिव यूजर हो चुके हैं। कू हिंदी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, गुजराती और मराठी सहित कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।

अब कंपनी में कोई चीनी निवेशक न हो- राधाकृष्ण
कू के निवेशकों में एस्सेल पार्टनर्स, 3वन4 कैपिटल, ब्लूम वेंचर्स और कलारी कैपिटल्स शामिल हैं। इनके अलावा चीन से संबंधित वैश्विक वेंचर कैपिटल कंपनी शुनवेई ने कू की पैरेंट कंपनी बॉम्बीनेट में निवेश किया है। राधाकृष्ण ने कहा कि शुनवेई ने पैरेंट कंपनी के एक अन्य ऐप वोकल में निवेश किया था। तब कू की शुरुआत भी नहीं हुई थी।
शुनवेई ने भारत की कई कंपनियों में निवेश किया है, जिसमें बॉम्बीनेट भी शामिल है। राधाकृष्ण ने कहा कि कू अब राष्ट्रीय भावना का हिस्सा बन रहा है, ऐसे में कू में अब भारतीय निवेशक ही होने चाहिए।
हाल ही में बॉम्बीनेट ने 41 लाख डॉलर जुटाए हैं और निवेश के इस राउंड किसी भी चीनी निवेशक ने हिस्सा नहीं लिया। वास्तव में हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि कंपनी में अब कोई भी चीनी निवेशक न हो।

कौन हिस्सेदारी खरीदेगा फिलहाल पुष्टि नहीं
उन्होने कहा कि अब हिस्सा खरीदने के लिए इच्छुक कई नए निवेशक सामने आ रहे हैं, ऐसे में हमने शुनवेई से हिस्सा बिक्री का आग्रह किया था, जिसे उन्होने मान लिया है। फिलहाल राधाकृष्ण ने ये साफ नहीं किया कि शुनवेई का हिस्सा कौन खरीदने जा रहा है। हालांकि उन्होने उम्मीद जताई कि सभी जरूरी मंजूरियों के साथ चीन के निवेशक के बाहर निकलने की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी।

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