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कानपुर के ठग:जहां बिजली गिरती, वहां के पत्थर व धातु के टुकड़ों को पाउडर बनाते, उसे यूरेनियम बताकर बेचते थे

बरामद माल और मोबाइल के साथ एसटीएफ की टीम।
  • यूरेनियम बताकर 2 से 3 करोड़ में बेचने आए थे, 27 तक रिमांड पर

यूरेनियम बताकर 2 से 3 करोड़ रुपए में बेचने आए आरोपियों का 27 फरवरी तक एसटीएफ को रिमांड मिला हैं। इन्होंने ये पाउडर कानपुर के किसी गांव में रहने वाले राजावत नामक व्यक्ति से लेना बताया है। आरोपियों ने कबूला है कि जिस स्थान पर बिजली गिरती थी, वहां की धातु या पत्थर पीसकर उसे चमकीला पाउडर बना लेते थे। फिर रेडियो एक्टिव पदार्थ बताकर करोड़ों में बेचते थे।

एसटीएफ एसपी मनीष खत्री के मुताबिक, चमकीला पदार्थ यूरेनियम नहीं है। फिर भी इसे सागर लैब टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा। आरोपी शम्मी राजपूत, योगेशचंद्र कुमार शुक्ला, उसका भाई सीमू शुक्ला, कमल कुमार वर्मा को माणिकबाग ब्रिज के नीचे से गिरफ्तार किया गया था। आरोपियों के पास से 2 ग्राम मेटल का पाउडर शीशी में मिला था।

रेडिएशन का डर: एफएसएल की टीम ने खोलकर ही नहीं देखा

इधर रेडियो एक्टिव पदार्थ मानकर जांच कर रही एफएसएल टीम ने रेडिएशन के खतरे के कारण चमकीले पाउडर को खोलकर नहीं जांचा, वहीं जांच के लिए भी सुरक्षा किट के साथ भेजने की बात कही है। हालांकि आरोपी तो इसे जेब में ही ले आए थे। उन्होंने बताया कि रेडिएशन ना फैले, इसलिए वे संतरे के छिलकों में लाए। रास्ते भर संतरे भी खाते रहे। वहीं एफएसएल और एसटीएफ के अधिकारी भी जब्ती करने के बाद खतरे के डर से चमकीले पाउडर को कोने में रख कर एक दो दिन में सागर लैब भेजने की बात कह रहे हैं।

यूरेनियम को लेकर आरोपियों ने इंटरनेट पर की थी काफी रिसर्च

टीआई एमए सैयद ने बताया कि गिरोह के सरगना शम्मी ने बताया कि उसने गांव के कुछ लोगों के साथ इंटरनेट पर यूरेनियम को लेकर काफी रिसर्च की थी। उसका कहना था कि एक ग्राम यूरेनियम सात मिलियन डॉलर में बिकता है। इसलिए वह ऐसा कर रहा था। आरोपी उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के बाद यहां आए थे। मामले में होलकर कॉलेज से रिटायर्ड प्राचार्य डॉ. एसएल गर्ग का कहना है कि आकाशीय बिजली गिरने से यूरेनियम बनने की बात बिलकुल गलत है। ऐसा हो ही नहीं सकता।

 

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