कोरोना वायरस महामारी में लोगों ने बहुत कुछ खोया है। वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लोग हाथ मिलाना, गले लगना, पालतू पशुओं को दुलार करना तक भूल गए थे। कई विशेषज्ञ मानवीय अस्तित्व के लिए स्पर्श को जरूरी मानते हैं। मियामी यूनिवर्सिटी में टच रिसर्च इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर टिफैनी फील्ड कहती हैं, भोजन और पानी के समान मानव अस्तित्व के लिए स्पर्श भी आवश्यक है। स्पर्श का प्रभाव कम आयु से शुरू हो जाता है। 2016 में एक वैज्ञानिक समीक्षा में पाया गया कि जन्म के बाद अपनी मां के शारीरिक संपर्क में रहने वाले बच्चों को मां का दूध पिलाने में उन बच्चों की तुलना में आसानी हुई जिनका अपनी मां की त्वचा से संपर्क नहीं हुआ था। कुछ घंटों बाद उनके दिल और फेफड़ों की स्थिति भी बेहतर रही। छूने से एचआईवी और कैंसर मरीजों में ऐसी कोशिकाओं की संख्या बढ़ गई जो हानिकारक कोशिकाओं को नष्ट करती हैं।
महामारी ने लोगों को स्पर्श की कमी का जमकर अनुभव कराया है। पिछले साल अप्रैल में 260 अमेरिकियों के सर्वे में 60% लोगों ने बताया कि वे शारीरिक संपर्क के लिए बेचैन थे। जापान में महामारी से पहले जापान टच काउंसलिंग एसोसिएशन के फाउंडर देगुची नोरिको नई माताओं, नर्सों और नर्सरी शिक्षकों को बच्चों के हाथ थामने, सीने से लगाने और थपथपाने के निर्देश देते थे। महामारी के बीच इसकी मांग बढ़ गई। अमेरिका में मेडिलॉन गुईनाजो और एडम लिपिन ने 2015 में कडलिस्ट कंपनी बनाई है। यह गले लगाने वाले थैरेपिस्ट को ट्रेनिंग देती है।
कंपनी के थैरेपिस्ट दुनियाभर में 50 हजार लोगों के संपर्क में हैं। गुईनाजो कहती हैं, महामारी ने लोगों को प्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क की अहमियत समझा दी है। उन्हें संक्रमण खत्म होने के बाद अपना कारोबार बहुत अधिक बढ़ने की उम्मीद है। चीन में फरवरी 2020 में मसाज चेयर्स की बिक्री 2019 की इसी अवधि के मुकाबले 436% बढ़ गई। एक अन्य कंपनी क्यूट सर्किट ने शर्ट में सेंसर लगाए हैं। कंपनी का दावा है, यह ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी के जरिये लोगों को किसी के गले लगने का अनुभव कराती है। पिछले साल अप्रैल और दिसंबर के बीच उसके ऑनलाइन कारोबार में 238% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
आक्रामकता बढ़ती है
स्पर्श की कमी से नुकसान भी हैं। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर डेविड लिंडेन लिखते हैं, नवजात शिशुओं में स्पर्श की कमी से कई समस्याएं होती हैं। वे दूसरे बच्चों के मुकाबले संज्ञान और अहसास के मामले में कमजोर होते हैं। स्पर्श की कमी से आक्रामकता पैदा होती है। एक स्टडी में पाया गया कि स्पर्श से वंचित लोगों ने अकेलापन,अवसाद, तनाव और बेचैनी महसूस की ।
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