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टूरिज्म का भविष्य:कोविड के कारण पर्यटन में स्थायी मंदी की आंशका नहीं, पहले से ज्यादा तेजी से लाैटेगा पर्यटन, लेकिन रूप बदलेगा

 

  • लोगों की छोटी और लंबी दूरी की यात्राओं में परिवर्तन होगा

दुनिया में पर्यटन की वापसी निश्चित है। कोविड के कारण पर्यटन में स्थायी मंदी की आंशका नहीं है। सभी पूर्वानुमान अगले कुछ वर्षों में यात्रा और पर्यटन के महामारी के पहले के स्तर पर पहुंचने की ओर संकेत कर रहे हैं। साथ ही इसमें तेज विकास की संभावनाएं भी हैं। कंसल्टेंसी कंपनी ऑलिवर वायमन के माइकल खान कहते हैं कि यात्रा पर असर तो हुआ है, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं रहेगा। लोगों के पास बढ़ती दौलत और वक्त जैसे दीर्घकालिक कारण पर्यटन को बढ़ाएंगे। चीन में बढ़ता पर्यटन इसका उदाहरण है। चीन के अलावा भारत, मलेशिया और इंडोनेशिया में बढ़ता मध्यमवर्ग इसमें हिस्सेदारी बढ़ाएगा। क्षेत्रीय यात्रा को प्राथमिकता से दक्षिण-पूर्व एशिया पसंदीदा पर्यटन स्थल बन सकता है। कोविड के बुरे प्रभावों के बावजूद साल के दूसरे आधे हिस्से में रिकवरी तेज हो सकती है। कई महीनों तक लॉकडाउन में रहे लोग अब लंबी यात्राओं के लिए सस्ते टिकटों का लाभ लेना चाहेंगे। साथ ही दुनिया भर में रुके काम फिर से शुरू होने से भी यात्राएं बढ़ेंगी।

छोटी और लंबी दूरी की यात्राओं में परिवर्तन होगा। कुछ लंबी दूरी की यात्राओं के किराए में बढ़ाेतरी होगी। छोटी दूरी की यात्रा सेवाओं में काफी बढ़ाेतरी हाेगी। लेकिन इससे कम लागत वाले प्रतिस्पर्धियों के लिए नए अवसर पैदा होंगे, जिससे कीमतें भी नियंत्रण में रह सकती हैं। यात्रा के दौरान सुरक्षा और सेहत सबसे महत्वपूर्ण होंगे। हॉलिडे डेस्टिनेशन की कमियों और फायदों को अब टूरिस्ट ज्यादा ध्यान से देखेंगे। अच्छा प्रशिक्षित स्टाफ और सुरक्षा बड़ा सेलिंग पाॅइंट बन जाएगा। हालांकि हाल ही में तेजी से विकास के बावजूद विदेश यात्रा अभी भी कुछ लोगों के लिए ही आसान है। जैसे-जैसे दुनिया समृद्ध होगी, विदेश में छुट्टी मनाने जाने वालों की संख्या बढ़ती जाएगी। यात्रा की गति और कीमत में एक और बदलाव यह आ रहा है कि अब अप्रचलित और कम जाने पहचाने स्थान भी पर्यटन स्थल बन रहे हैं, इससे भी पूरे बिजनेस का रूप बदल रहा है। एक बदलाव सुपरसोनिक यात्रा से आ सकता है। व्यावसायिक विफलता के बावजूद इसके वापस लौटने की संभावना है। कुछ स्टार्टअप पहले से ही छोटे सुपरसोनिक कॉर्पोरेट जेट विकसित कर रहे हैं। यात्रा की कीमतें भले ही ना घटें, लेकिन इसमें लगने वाला समय निश्चित रूप से घटेगा।

80% आबादी ने कभी भी विमान में पैर नहीं रखा है
विमानन कंपनियों का अनुमान है कि दुनिया की लगभग 80% आबादी ने कभी भी विमान में पैर नहीं रखा है और यह वर्ग पर्यटन से छूटा बड़ा बाजार है। विदेश यात्रा अभी भी एक बड़े वर्ग के लिए दुर्लभ है। स्वीडन की लिनियस यूनिवर्सिटी के स्टीफन गोसलिंग के एक शोध के अनुसार दुनिया में 2018 में सिर्फ 11% आबादी ने विमान में सफर किया। इसमें से भी केवल 4% ने विदेश यात्रा की। यहां तक कि अमीर देशों में भी आधी से कम आबादी ने विमान यात्रा की। ऐसे में दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा यात्रा की तैयारियां कर सकता है।

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