क्या आर्ट थेरेपी यानी ड्राइंग और पेंटिंग एंग्जाइटी और डिप्रेशन को कम कर सकती है? 19वीं सदी के बीच इस थेरेपी को ईजाद किया गया था। इससे लोगों की मानसिक बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लगाया जाता था यानी यह टेस्टिंग टूल के तौर पर काम करता था। लेकिन टेस्टिंग के दौरान यह देखा गया कि कुछ पीड़ित इसे करने से अच्छा महसूस कर रहे हैं। इसके बाद इसका इस्तेमाल मेंटल डिसऑर्डर के इलाज के लिए किया जाने लगा। दुनियाभर में कोरोना में मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के मामले 40% तक बढ़ गए, लोग इससे निजात पाने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। उन्हीं में से एक है आर्ट थेरेपी।
देश में 7 में से 1 भारतीय मेंटल डिसऑर्डर का शिकार
एक स्टडी के मुताबिक 7 में से 1 भारतीय मेंटल डिसऑर्डर का शिकार है। इसमें सबसे ज्यादा मामले एंग्जाइटी और डिप्रेशन के हैं। देश में मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 20 करोड़ है, जो देश की आबादी का 14.3% है। इनमें से 4.6 करोड़ लोगों को डिप्रेशन और 4.5 करोड़ लोगों को एंग्जाइटी है। देश में मानसिक बीमारी कितनी बड़ी समस्या के तौर पर उभर रही है, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 1990 में देश की कुल बीमारी में मानसिक बीमारी की हिस्सेदारी 2.5% थी, जो अब लगभग 5% हो चुकी है।
आर्ट थेरेपी क्या है?
अमेरिकन मेंटल हेल्थ काउंसलर डॉक्टर केली लिंच कहती हैं कि दायरे से बाहर जाकर कुछ क्रिएटिव करना मेंटल हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ऐसे लोग जिन्हें इमोशनल टच की कमी महसूस होती है और जिन्हें सेंस ऑफ सेल्फ या खुद का अहसास नहीं होता, उन्हें इस तरह की थेरेपी का सहारा लेना चाहिए। ऐसे लोगों में डिप्रेशन की संभावनाएं औरों की तुलना में 30% तक ज्यादा होती है, जो आर्ट थेरेपी से कम हो सकती है।
जानिए अमेरिकन मेंटल हेल्थ काउंसलर डॉ. केल्ली से ड्राइंग और पेंटिंग के 4 फायदे
1. यह तनाव को कम करता है
लगातार हो रही एंग्जाइटी आपको मानसिक तौर पर बीमार बना सकती है। अगर आप ऐसा महसूस कर रहे हों तो एक पेंसिल और पेपर लेकर ड्राइंग के लिए बैठ जाइए, अपने आपको क्रिएटिव काम में इंगेज कर लीजिए। ऐसा करते हुए आपको एंग्जाइटी से एक लंबा ब्रेक मिलेगा। 2007, 2016 और 2018 में की गई स्टडी में यह बात सामने आई कि मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों को न केवल इस थेरेपी से आराम मिला, बल्कि 22% पीड़ित पूरी तरह से ठीक हुए थे।
2. ड्राइंग माइंडफुलनेस को बढ़ा देती है
माइंडफुलनेस का मतलब, मानसिक सक्षमता, सोच और इमोशन से है। आर्ट थेरेपी इन्हें बढ़ा देती है, जिससे लोग खुश रहते हैं, प्रोडक्टिविटी बढ़ जाती है और मानसिक समस्याओं का रिस्क 50% कम हो जाता है।
3 . अनचाही चीजों से दूर रहते हैं
ड्राइंग और कलरिंग से लोग उन चीजों से दूर रहते हैं, जिसके चलते एंग्जाइटी बढ़ सकती है। एंग्जाइटी आमतौर पर अफवाहों और आस-पास के नेगेटिविटी से बढ़ती है। जब आप आर्ट जैसी चीजों में इन्वॉल्व होते हैं, तब आप मानसिक तौर पर इन चीजों का सामना करने के लिए तैयार होते हैं। 2016 में अमेरिका में हुई एक स्टडी के मुताबिक ड्राइंग हमेशा शांति ऑफर करती है, एंग्जाइटी के दौरान दिमाग को शांत रखकर ही इससे बचा जा सकता है।
4. आर्ट से पॉजिटिव फ्लो आता है
फ्लो से मतलब फोकस से है, आर्ट ऐसी थेरेपी है जो लोगों को फोकस्ड रखती है। जितना ज्यादा आप अपने काम और खुद पर फोकस करेंगे, उतना ही आप नेगेटिविटी और एंग्जाइटी से दूर रहेंगे।
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