तिब्बत की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख वू यिंग्जी को जनवरी में ल्हासा के याक-चरवाहे ने एक पत्र लिखा है। पत्र में सोनम तेसरिंग नाम के इस व्यक्ति ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने खुशहाल जीवन का कारण बताया है। चीन का मीडिया इसे अब तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है। यह कहा जा रहा है कि सोनम की खुशी के पीछे तिब्बती बौद्ध धर्म और उसके नेता दलाई लामा नहीं है। कम्युनिस्ट पार्टी लंबे समय से दलाई लामा के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है।
हाल ही के कुछ महीनों में अधिकारियों ने चीन की करीब 6.3 करोड़ आबादी के धार्मिक जीवन से दलाई लामा के महत्व को कम करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। तिब्बतियों को अपने धार्मिक विश्वास पर कम ध्यान देने और शी और पार्टी के लिए अधिक उत्साह दिखाने के लिए कहा जा रहा है। इसी तरह का एक अभियान पड़ोसी शिंगजियांग में उइगर मुस्लिमों के बीच इस्लाम को लेकर चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य तिब्बती पठार से दलाई लामा और शिंगजियांग में चीन के बाहर के धार्मिक प्रभावों को खत्म करना है। इन दोनों क्षेत्रों में पार्टी धार्मिक मान्यताओं के साथ सांस्कृतिक परंपराओं पर भी हमला कर रही है।
पार्टी अपने अभियान को शिंगजियांग में बढ़ाती जा रही है, क्योंकि उसे डर है कि यह क्षेत्र आतंकवाद को अपना सकता है। इधर तिब्बत में पार्टी की चिंता स्थिरता को लेकर है। 2008 में यहां फैले आंदाेलन और अशांति के बाद विदेशियों के यहां आने पर सख्त पाबंदियां हैं। पत्रकारों को तो यहां मुश्किल से ही प्रवेश मिलता है। तब हताश तिब्बतियों द्वारा सार्वजनिक आत्मदाह की कोशिशों के बाद अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं।
शिंगजियांग से 10 लाख से अधिक उइगरों को नए स्थानों पर भेजा गया है। तिब्बत से भी कई किसानों को पिछले एक दशक में दूसरे कस्बों और शहरों में भेजा गया है। यहां दलाई लामा के फोटो ऑनलाइन पोस्ट करना एक अपराध की तरह है। दिसंबर में, 30 साल के एक चरवाहे को वीचैट पर दलाई लामा की नए साल की शुभकामनाएं पोस्ट करने पर एक साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। उस पर राष्ट्र को विभाजित करने का आराेप लगाया गया था।
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