- 2008 और 2011 में जन्मे दो बच्चों को चुराकर बेचने-खरीदने वाले 7 गिरफ्तार
यह खबर हर उस मां के लिए है, जिसने वर्ष 2008 से 2011 के बीच एरोड्रम इलाके के यश मैटरनिटी क्लिनिक में बच्चों को जन्म दिया। दरअसल, यहां प्रसव के बाद कुछ मांओं को उनका बच्चा सौंपा ही नहीं गया। उन्हें या तो मृत बच्चा पैदा हुआ या चोरी हो गया बताकर गुमराह कर दिया जाता था।
यह खुलासा एसटीएफ ने इस अस्पताल में आया के रूप में काम कर चुकी एक महिला और छह अन्य लोगों को गिरफ्तार करने के बाद किया है। इन लोगों की लिंक एमवायएच से बच्चा चुराने वाली युवती से भी जुड़ी होने की बात सामने आ रही है। एसटीएफ ने आरोपियों से 2008 और 2011 में चुराकर बेचे गए दो बच्चे भी बरामद किए हैं। एसटीएफ एसपी मनीष खत्री के मुताबिक, चाइल्ड लाइन से सूचना मिली थी कि देवास के एक दंपती के पास अवैध तरीके से लिया बच्चा है। देवास के शिरीष इंदुलकर और उनकी पत्नी सुधा से पूछताछ की गई।
शिरीष ने बच्चे को अपना बताकर देवास का जन्म प्रमाण पत्र दिखाया, लेकिन सख्ती से पूछताछ की गई तो दंपती ने बताया कि पड़ोसी पुष्पाबाई और उसके पति प्रभुदयाल ने बच्चा सौंपा था। पुष्पा और प्रभु ने बताया कि इंदौर के स्कीम नंबर 51 स्थित यश मैटरनिटी क्लिनिक में उनकी रिश्तेदार लीलाबाई आया थी। उसने 30 अक्टूबर 2011 बच्चा चुराकर दिया था। टीम ने लीलाबाई से पूछताछ की तो उसने एक और बच्चे को उसकी मां से अलग कर 2008 में रतलाम के दंपती अजय-स्वर्णलता को बेचना बताया।
क्लिनिक संचालिका, पति, बेटे की मौत हो चुकी
टीआई ने बताया कि जिस यश मैटरनिटी क्लिनिक से बच्चे चुराने का खेल चलता था। कुछ साल पहले उसकी संचालिका शकुंतला शुक्ला, उनके पति सचिन व बेटे की हादसे में मौत हो गई। उसके बाद क्लिनिक बंद हो गया।
प्रसव के बाद मां के बेहोश होते ही बच्चा गायब कर देती थी
टीआई एमए सैयद ने बताया कि लीलाबाई गिरोह की मुख्य आरोपी है। ये क्लिनिक में आया थी। किसी भी महिला का बच्चा इसे चुराना होता था तो ये जन्म के तत्काल बाद मां को बेहोशी की हालत में देख उसका बच्चा गायब कर देती थी। कुछ लोगों को इसने अबॉर्शन का भ्रूण देकर बच्चा मृत बताकर धोखा दिया। देवास में रहने वाली पुष्पाबाई उसकी बहन और प्रभुदयाल बहनोई है। इनके अलावा रतलाम के दंपती अजय-स्वर्णलता व देवास के दंपती शिरीष-सुधा को भी सह आरोपी बनाया गया है।
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