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विश्वयुद्धों से लंबी जमीन की जंग:पीड़ित बोले- सहकारिता के रिसीवर ने ही भूमाफियाओं को बिकवाए प्लॉट

 

प्रतीकात्मक फोटो।
  • मद्दा समेत सभी 15 भूमाफिया विदेश न भाग जाएं, इसलिए लुक आउट सर्कुलर जारी

गृह निर्माण संस्थाओं के सदस्यों ने सहकारिता विभाग के अफसरों को ही जमीन के घपलों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। शनिवार को अयोध्यापुरी पहुंचे कलेक्टर मनीष सिंह से सदस्यों ने कहा कि सहकारिता विभाग ने संस्था में जिस रिसीवर की नियुक्ति की उन्होंने ही भूमाफिया को प्लॉट बिकवा दिए।

रहवासी संघ के सचिव गौरीशंकर लखोटिया ने कहा कि जो भी रिसीवर आया, उसने भूमाफिया को प्लॉट बेचे। ऐसे 40 प्लाॅट हैं। सदस्य रसीद लिए भटक रहे हैं, माफिया बाउंड्रीवॉल बनाकर बैठ गए। उधर, प्रशासन ने दीपक मद्दा व संघवी समेत 15 फरार आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है, ताकि विदेश न भाग सकें।

रजिस्ट्री के पन्ने गल गए, प्लाॅट नहीं मिला
मेडिकल काॅलेज में प्रोफेसर रहे डाॅ. मनोहर भंडारी ने देवी अहिल्या संस्था से 1985 में 1600 वर्गफीट का प्लाॅट लिया। प्लाॅट कागजों में 1500 से 1200 वर्गफीट का हो गया। 1998 में हुई रजिस्ट्री के पन्ने गलने लगे,प्लॉट अब तक नहीं मिला।

30 साल का इंतजार कब बनेगा घर
अयोध्यापुरी के ओमप्रकाश कुशवाह कहते हैं, जब मैंने जमीन ली थी, तब यहां खेती होती थी। मैंने खुद यहां खेती की है। लेकिन 30 साल से अपनी जमीन के टुकड़े को बस देख पाता हूं। रजिस्ट्री कब से हो चुकी, घर का सपना जाने कब पूरा होगा।

एक पीढ़ी अधेड़ होने आई, सपना अधूरा
मधु आहूजा ने अयोध्यापुरी में 35 साल पहले प्लाॅट लिया था। 2001 में कड़े संघर्ष के बाद रजिस्ट्री हुई। तब से कब्जे और मकान बनाने के लिए मशक्कत जारी है। एक पूरी पीढ़ी पैदा होकर अधेड़ होने आ गई, लेकिन प्लाॅट से मकान तक का सफर पूरा नहीं हो पाया।

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