उत्तराखंड के चमोली जिले में रैणी गांव के लोग रविवार को सुबह का नाश्ता कर चुके थे। कोई खेतों की तरफ जाने की तैयारी में था, तो कोई जरूरी सामान खरीदने जोशीमठ के लिए निकल रहा था। तभी तेज धमाका हुआ। शुरुआत में किसी को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन नदी में जलजला देखकर सबके होश उड़ गए। सैलाब इतना तेज था कि रास्ते में आने वाली चट्टानें, पेड़ और बड़े बोल्डर कई किमी नीचे ऋषि गंगा और धौली गंगा नदियों के संगम तक पहुंच गए।
'जिस समय सैलाब नजर आया, तब नदी में बन रहे बांध के बीचों-बीच मजदूर काम कर रहे थे। गांव के लोगों ने शोर मचाना शुरू किया। गांव के कुछ परिवारों के खेत नदी के किनारे हैं। वे लोग अपने खेतों में ही थे।' ये बात बताते हुए गांव की प्रधान शोभा राणा गहरे सदमे में दिखती हैं।
महज कुछ मिनटों में सबकुछ खत्म हो गया
स्थानीय निवासी भगवान सिंह राणा बताते हैं, 'हमने लोगों की जान बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन कुछ मिनटों में सब कुछ खत्म होता चला गया। नदी किनारे बना शिवालय और आराध्य काली मंदिर भी सैलाब में बह गए।'
गांव वालों ने ऊंचाई पर जाकर शोर मचाया
गांव वालों के मुताबिक, रविवार की सुबह साढ़े 10 बजे ग्लेशियर टूटा। सैलाब को सबसे पहले पैंग मुरंडा गांव के लोगों ने देखा। वे आसपास के गांववालों को इत्तला करने के लिए ऊंचाई वाले स्थानों पर जाकर शोर मचाने लगे, लेकिन सैलाब की गति उनकी आवाज से ज्यादा तेज थी।
कृत्रिम झील में गिरा ग्लेशियर का हिस्सा
जोशीमठ से 23 किमी आगे मलारी बार्डर पर हाईवे से लगा हुआ रैणी गांव है। यहां से लगभग 20 किमी ऊपर पहाड़ी से ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर कृत्रिम झील में गिर गया। इसने रैणी समेत आसपास के इलाके में भारी तबाही मचा दी।
सैलाब में 5 झूला पुल और रैणी गांव का पुल तबाह
रविवार को आए सैलाब में 5 झूला पुल समेत मलारी बॉर्डर हाईवे पर बना रैणी गांव का मुख्य पुल भी बह गया। रैणी में 13.2 मेगावाट का ऋषि गंगा पॉवर प्रोजेक्ट भी पूरी तरह मलबे में दब गया। इस प्रोजेक्ट का बैराज, टनल, स्टाफ क्वार्टर और मशीनें सैलाब की भेंट चढ़ गईं।
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