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स्वयं के लिए सख्त नहीं, उदार बनिए

 

  • कैसे करें एक नई आदत की शुरुआत

हमारी आदतें ही हमारे जीवन को परिभाषित करती हैं। शोध बताते हैं कि हर दिन हम जितने काम करते हैं उनमें से ज्यादातर कामों को दोहराते हैं। शायद यही वजह है जो व्यवहार वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक लगातार इस बात पर जोर देते हैं कि हमें जीवन में सकारात्मक आदतों का निर्माण करना चाहिए।

आदत क्यों बदलना चाहते, यह जानिए

एक ही तरह की दिनचर्या के साथ लंबे समय से जीवन जी रहे हैं तो ऐसे में एक नई आदत को जोड़ना थोड़ा मुश्किल लग सकता है। इसके लिए बहुत मेहनत करना पड़ सकती है। बेहद ध्यान से इस ओर बढ़ें। अपने रूटीन में आप जो भी नई आदतें डालना चाहते हैं सबसे पहले तो उनका चुनाव बेहद सोच-समझकर कीजिए। इसके बाद जब आप उन्हें तय कर लें तो विचार कीजिए कि आखिर क्यों आप इन आदतों को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं? एक बार जब आप इन आदतों को शुरू करने की वजह, इरादे या उद्देश्य जान लेंगे तो उन्हें अपने जीवन में पूरी तरह उतारने के लिए पर्याप्त मेहनत भी करेंगे।

वो क्या है, जो आपको रोक रहा है

यह जानने की कोशिश कीजिए कि आखिर वो क्या है जो आपको कोई काम करने से रोक रहा है? वो क्या है जिसकी वजह से आप अपने आपको बदल नहीं पा रहे हैं, जो चाहते हैं वो कर नहीं पा रहे हैं। हर दिन समय पर जिम न पहुंचने की आखिर क्या वजह हो सकती है? क्या वो वजह आपकी व्यस्त दिनचर्या है? इससे बचने के लिए अपने कैलेंडर में इस काम के लिए 30-60 मिनट अलग निकाल कर रख दें। इसके बाद भी यदि आपको प्रेरणा नहीं मिल रही है तो ऐसे में अपने परिवार के किसी सदस्य या किसी दोस्त की मदद भी ली जा सकती है। ये लोग लक्ष्य तक पहुंचने में आपकी मदद करेंगे।

नए रूटीन को ज्यादा सख्त न बनाएं

नया रूटीन सरल होना चाहिए। नए रूटीन के अनुसार ही अपने समय को सेट कीजिए। छोटे-छोटे बदलाव करके ही आप बड़े बदलाव तक पहुंच पाएंगे। उदाहरण के तौर पर यदि आप बेहतर नींद लेना चाहते हैं, तो बिस्तर पर बैठकर फोन स्क्रोल करने की बजाय हाथ में एक अच्छी किताब लेकर उसे पढ़िए। यदि आपको संगीत सुनना पसंद है तो इसे अलग से सुनने की बजाय तब सुनिए जब आप अपनी नई आदत पर काम कर रहे हों। जैसे ट्रेडमिल करते हुए संगीत सुनिए या नाश्ता बनाते हुए संगीत सुन सकते हैं। इसे ‘टेंपटेशन बंडलिंग’ कहते हैं।

स्वयं को बदलने के लिए वक्त दीजिए

किसी भी आदत को बनने में समय लगता है, इसलिए यह उम्मीद मत कीजिए कि आपने जैसे ही सोचा वैसे ही नई आदतें डाल लेंगे। आदत निर्माण की प्रक्रिया में खुद के प्रति सख्त रवैया न अपनाते हुए दया भाव बनाए रखें। सहजता के साथ अपने लक्ष्य तक पहुंचने की कोशिश करें। कई बार आपको लगेगा कि आप ये नहीं कर सकते, लेकिन फिर अगले ही घंटे आपको अहसास होगा कि आप जल्दबाजी कर रहे हैं, आपको स्वयं को थोड़ा वक्त देना चाहिए। यही सही भी है। नई आदत डालने के लिए अपने आपको थोड़ा वक्त दें। उतार-चढ़ाव तो आएंगे ही।

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