इंदौर जू में जल्द ही नंदन कानन से ब्लैक व व्हाइट टाइगर लाया जाएगा। एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत इन प्राणियों को लाया जा रहा है। इंदौर जू से दूसरे प्राणियों को नंदन कानन को दे दिए गए हैं। सीजेडए सेंट्रल जू अथॉरिटी को दोनों जू ने प्रपोजल भेजा था। इसमें नंदन कानन जू और इंदौर जू भी था। इसमें दोनों जू को परमिशन एक साथ मिली थी। चूंकि नंदन कानन जू में वहां पर रखने के लिए पिंजरे तैयार थे इसीलिए उन्होंने अपना प्रपोजल इंदौर जू से देना है, वो पूरा कर लिया है।
चिड़ियाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया कि इंदौर जू को अभी वहां से एक्सचेंज में वन्य प्राणी लाना है। यहां से घड़ियाल, टाइगर दे दिया है। अब जो लाना है, वो हमारा इनक्लोजर का काम है, वो अभी बाकी है। करीब दो से तीन प्रतिशत काम बाकी है। एक से दो माह में हम ब्लैक और व्हाइट टाइगर लेकर आ जाएंगे।
इंदौर जू में ओडिशा के नंदन कानन से एक काले और एक सफेद बाघ दिखाई देंगे। इससे पहले नंदन कानन को स्थानीय कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय दो शेर, एक भेड़िया और एक लोमड़ी का जोड़ा दिया गया है। साथ ही एक घड़ियाल का जोड़ा देकर वहां के एक घड़ियाल का जोड़ा लिया जाएगा। केंद्रीय चिड़ियाघर प्रबंधन ने जीव-जंतुओं की इस अदला- बदली पर मुहर लगा दी थी। इसके साथ ही अब एक डेढ़ माह में इंदौर चिड़ियाघर की टीम काले और सफेद बाघों को लेने के लिए रवाना होगी। चिड़ियाघर में बाघों के लिए बन रहे बाड़े का काम अंतिम चरण में है।
दो शेरों के चिड़ियाघर से विदा होने के बाद शेरों का कुनबा छोटा हो गया है। अभी जहां चिड़ियाघर प्रबंधन के पास दस शेर हैं, वहीं विनिमय के बाद इनकी संख्या आठ रह गई है। इंदौर चिड़ियाघर के प्रभारी उत्तम यादव ने बताया कि जल्द ही शहर के दर्शक काले रंग के बाघ को देख पाएंगे। इसके शरीर पर सफेद रंग की धारियां होती जो अनुवांशिक त्रुटि के कारण बनती है। यह दुर्लभ प्रजाति के बाघ भारत में केवल ओडिशा में ही पाए जाते हैं। 2020 की बाघ गणना रिपोर्ट बताती है कि काली धारी वाले बाघों की संख्या में काफी तेजी से कमी आ रही है। इन बाघों की संख्या बहुत कम रह गई है।
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