सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी इंदौर में मुनव्वर फारूकी की रिहाई को लेकर शनिवार दिनभर एक ड्रामा चलता रहा। आखिरकार एक जज के फोन के बाद डर, दबाव और अंधेरे में कॉमेडियन मुनव्वर की रिहाई की गई।
सबकी नजरों से बचाकर पुलिस उसे अपनी गाड़ी में बैठाकर जेल से बाहर लाई और फिर परिजन को सौंप दिया। रिहाई को लेकर परिजन, वकील, मीडिया और पुलिस का सेंट्रल जेल के आसपास जमावड़ा लगा रहा। परिजन शाम 4 बजे पहुंचे, लेकिन वहां पर किसी को एंट्री नहीं दी गई। जेल में गीता पाठ चल रहा था।
कुछ देर के लिए मीडियाकर्मियों को गीता पाठ में जाने के लिए एंट्री दी। उन्हें भी गीता पाठ सुनाया। 6.30 बजे पाठ का समापन हुआ। फिर सेंट्रल जेल अधीक्षक राकेश भांगरे को रिलीज ऑर्डर मिला। वे बोले कि इसे दिखा रहे हैं। उसे इंदौर के मामले में रिलीज कर देंगे, लेकिन हमारे पास इलाहाबाद जेल का एक प्रोडक्शन वारंट है। उसे 18 जनवरी को इलाहाबाद जेल भेजना है। लेने के लिए वहां की पुलिस आएगी या इंदौर की पुलिस उसे ले जाएगी।
इलाहाबाद मामले में आदेश नहीं आने से रोका था : जेल अधीक्षक
अधीक्षक ने कहा कि हमारे पास सिर्फ अभी इंदौर मामले की रिहाई के आदेश हैं। यदि इलाहबाद मामले में रिहाई का आदेश आ जाएगा तो हम उसे रिहा कर देंगे। जेल से कहा गया कि शाम 7 बजे तक यदि मेल नहीं आया तो फिर रिहा नहीं करेंगे। इधर पुलिस अफसरों ने भी कहा कि 8.30 बजे बाद नहीं छोड़ेंगे। इस दौरान परिजन और वकील लगातार संपर्क करते रहे। आखिरकार पुलिस अधिकारियों ने भी रात 9 बजे कह दिया अब उसे नहीं छोड़ेंगे। इस पर परिजन व उनके वकील बोले कि यदि उसे आज रिहा नहीं किया तो सुप्रीम कोर्ट की याचिका दायर करेंगे।
इसके बाद रात 10 बजे सेंट्रल जेल से सभी चले गए। फिर रात 11:15 बजे अचानक खबर आई कि उसे छोड़ा जा रहा है। फिर से चहल-पहल बढ़ी तो कहा कि फारूकी को नहीं छोड़ा है। एक घंटे बाद बताया कि उसे तो पुलिस अपनी गाड़ी में बैठाकर ले गई है। उधर, रात को अधीक्षक ने बताया कि उन्हें एक सीजेएम ने फोन लगाकर जानकारी दी कि फारूकी को छोड़ने का ऑर्डर सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हो चुका है, इसलिए को छोड़ दिया जाए। अधीक्षक ने साइट पर ऑर्डर देखा और फिर उसकी रिहाई की गई।
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