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महामारी में महिलाएं:एक साल में 23 लाख महिलाएं वर्कफोर्स से बाहर हुईं, हर 3 में से 1 ने बच्चों के लिए नौकरी छोड़ी

 

  • छुट्‌टी मांगी तो नौकरी से निकाला, अमेरिका में 58 महिलाओं ने दर्ज कराए मुकदमे
  • कोरोना महामारी में महिलाएं हुई बुरी तरह प्रभावित
  • कुछ जगह महिलाओं ने हालात का डटकर किया मुकाबला

फ्लोरिडा, अमेरिका में एक डेंटिस्ट के ऑफिस की असिस्टेंट मैनेजर लॉरेन मार्टिनेज का छोटा बच्चा बुरी तरह बीमार था। यह मई 2020 का वाकया है। कोरोना वायरस महामारी की चपेट में बच्चों की देखभाल के सेंटर बंद हो चुके थे। लॉरेन के पति भी उस ऑफिस में काम करते थे। घर चलाने के लिए दोनों का नौकरी करना जरूरी था। लॉरेन ने अपने बॉस से घर से काम करने की इजाजत मांगी। मंजूरी तो नहीं मिली। उल्टे कुछ दिन बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया। लॉरेन ने इस अन्याय के खिलाफ अदालत में दस्तक दी है। लॉरेन का मामला अकेला नहीं है। अमेरिका में अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के बीच 58 महिलाओं ने मालिकों के खिलाफ मुकदमे दायर किए हैं।

मुकदमे दायर करने वाली महिलाओं का आरोप है कि नियोक्ताओं ने उन्हें इमर्जेंसी पैरेंटल छुट्‌टी नहीं दी, कर्मचारियों को इमर्जेसी छुट्‌टी लेने के अधिकारों की जानकारी नहीं दी या घर से काम करने की सुविधा मांगने या स्कूल, केयर सेंटर बंद होने से छुट्‌टी लेने पर नौकरी से निकाल दिया। अधिकतर मामलों में आरोप है कि उनके पूर्व मालिकों ने फेमिलीज फर्स्ट कोरोना वायरस रिस्पांस एक्ट (एफएफसीआरए) के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है। लेकिन, न्यूयॉर्क जैसे कुछ शहरों में मानव अधिकार कानूनों के तहत मुकदमे दाखिल हुए हैं।

लेबर ब्यूरो के अनुसार फरवरी 2020 के बाद 23 लाख से अधिक महिलाएं काम से बाहर हो चुकी हैं। जनगणना ब्यूरो और फेडरल रिजर्व के विश्लेषण में पाया गया है कि जुलाई में काम न करने वाली तीन में से एक महिला ने बच्चे की देखभाल को काम छोड़ने का कारण बताया है। प्यू रिसर्च के अनुसार 12 साल और उससे कम आयु के बच्चों की माताओं के फरवरी और अगस्त के बीच पिता की तुलना में नौकरी खोने की संभावना तीन गुना रही। सेंटर फॉर वर्क लाइफ लॉ ने टाइम को बताया, महामारी के बाद उन्हें अपनी हेल्पलाइन पर भेदभाव की शिकायतें सामान्य दिनों से सात गुना अधिक मिली हैं। अधिकतर माताओं के पास कोई रास्ता नहीं है।

अमेरिका अकेला अमीर देश जहां सवैतनिक पेरेंटल लीव नहीं मिलती

लॉरेन मार्टिनेज की वकील बेंजामिन योरमाक बताती हैं, हमारे पास दिन भर फोन आते हैं। कोई महिला कहती है, मुझे बच्चे की देखभाल करना महंगा पड़ा है। मेरी नौकरी चली गई है। कई महिलाओं ने टाइम को बताया उन्हें अपने बच्चों की देखभाल और नौकरी के बीच किसी एक चीज का चुनाव करने के लिए विवश होना पड़ा है। यह बेहद अन्यायपूर्ण है। अमेरिका अकेला अमीर देश है जहां सवैतनिक पेरेंटल छुट्‌टी नहीं मिलती है। क्रिस्टेन होरिने ओहायो में पार्क डिजाइन करने वाली एक कंपनी में काम करती हैं। उन्होंने अपने छोटे बच्चे की देखभाल के लिए छुट्‌टी ले ली। छुट्‌टी खत्म होने पर वे जब काम पर लौटीं तो उन्हें बताया गया चूंकि अब पर्याप्त काम नहीं है इसलिए उनकी कोई जरूरत नहीं है।

अमेरिका की तस्वीर : इमरजेंसी पैरेंटल छुटि्टयां तक नहीं मिलीं

41% महिलाएं महामारी से पहले अपने परिवार में अकेली कमाने वाली थीं।

03 में से 1 महिला को बच्चों की देखभाल की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ी है।

57% हिस्सेदारी थी महिलाओं की वर्कफोर्स मेंं जनवरी 2020 में।

23 लाख महिलाओं को काम छोड़ना पड़ा है, फरवरी 2020 के बाद।

40% बच्चों के कल्याण कार्यक्रम सरकार की मदद के बिना बंद हो जाएंगे।

1.82 लाख करोड़ रु. दिए राष्ट्रपति ने चाइल्ड केयर इंडस्ट्री की मदद के लिए।

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