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रूस में कोरोना दहन:भारत के होलिका दहन की तरह मनाया गया मास्लेनित्सा फेस्टिवल, 78 फीट ऊंचे लकड़ी के घर को जलाकर बांटी मिठाई

 

मास्लेनित्सा फेस्टिवल को बसंत के आगमन, परिवार से जुड़ाव और बुराई के अंत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  • 78 फीट ऊंचा लकड़ी का महल जलाकर दी कोरोना को विदाई

रूस में रविवार को 102 साल पुराना मास्लेनित्सा फेस्टिवल मनाया गया। इस दौरान लोगों ने 78 फीट ऊंचे लकड़ी के घर को जलाया और मिठाई खिलाकर एक-दूसरे को बधाई दी। इस पारंपरिक त्योहार को बसंत के आगमन, परिवार से जुड़ाव और बुराई के अंत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यानी बिल्कुल वैसा ही, जैसा भारत में होलिका दहन।

इस बार थीम थी- फेयरवेल ऑफ कोरोना
इस दौरान लोग परिवार के साथ समय बिताते हैं, पूर्वजों को याद करते हैं और मेलों का आनंद लेते हैं। वे अलाव में पुरानी चीजों को भी जलाते हैं, जिसे नई शुरुआत और पापों को जलाने का प्रतीक माना जाता है। हालांकि, इस बार इसकी थीम थी- फेयरवेल ऑफ कोरोना। यह थीम बुरी ताकतों को जलाकर खत्म करने और आगे बढ़ने की थी। इस दौरान लोगों ने लकड़ी के महल को मास्क से सजाया। साथ ही एक वैक्सीनेशन टावर भी बनाया।

50 से ज्यादा देशों में मनाए जाते हैं होली जैसे त्योहार: दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में भारत के होलिका दहन जैसे त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें ब्रिटेन का बोन फायर फेस्टिवल, स्पेन का मर्क, अमेरिका का बर्निंग मैन, जापान का वाकाकुसा यामायाकी या माउंटेन बर्निंग फेस्टिवल और ग्वाटेमाला का राक्षसों के अंत का प्रतीक क्वेमा डेल डियाब्लो प्रमुख हैं।

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