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आई टी के उपयोग से राजस्व विभाग ने सेवाओं को बनाया और अधिक सुगम • गोविंद सिंह राजपूत

 एक किसान के लिए उसकी जमीन ही उसकी माँ है और बाप भी। वो अपनी जमीन के लिए ही जीता है और उसी के लिए मरता भी है परंतु किसान को अपनी जमीन का मालिकाना हक पाने के लिए सिस्टम के 'चक्रव्यूहसे होकर गुजरना पड़ता है। उसका सारा जीवन पटवारी शब्द के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता था। कभी सीमांकन के लिएकभी खसरे की नकल के लिए तो कभी किसी ओर कागज की पूर्ति के लिए।

अन्नदाता को अन्नदाता से कराया परिचय

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहानजो स्वयं एक गाँव में जन्में और पले-बढ़े हैने मुख्यमंत्री के रूप में किसान को तकलीफों के इस चक्रव्यूह से निकालने का मार्ग खोजाजिससे पटवारी को भगवान समझने वाला किसान अब स्वयं को अन्नदाता महसूस करने लगा। मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप राजस्व मंत्री के रूप में मैंने किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए राजस्व कार्यों में तकनीकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से कभी भी और कहीं भी की तर्ज पर सुविधा उपलब्ध कराने की पहल की।

पिछले एक वर्ष में राजस्व सेवाओं को और अधिक सुगम एवं सहज बनाने एवं इन सेवाओं को किसानों और आम नागरिकों तक आसानी से पहुँचाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का राजस्व अभिलेखों के लिये अधिक से अधिक उपयोग किया गया है। इसका ही परिणाम है कि वर्ष 2020-21 में भू-अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण में नेशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च की रिपोर्ट में पूरे भारत में मध्यप्रदेश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

आज की स्थिति में प्रदेश के समस्त 56 हजार 761 ग्रामों के लगभग एक करोड़ 51 लाख भूमि स्वामियों के करोड़ 97 लाख खसरा नंबरों का इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस तैयार किया जा चुका है। प्रदेश में राजस्व विभाग की सेवाएँ एम पी ऑन लाइनलोक सेवा केन्द्र एवं ऑन लाइन पोर्टल से प्रदान की जा रही हैं। भूमि के नक्शे का डिजिटाइजेशन एवं भू-अभिलेखोंखसरानक्शा एवं बी-की कम्प्यूटरीकृत प्रतियॉ 'कभी भीकहीं भी' की तर्ज पर प्राप्त की जा सकती है।

भूमि-बंधक की प्रक्रिया को ऑन लाइन कर किसानों को आसानी से ऋण प्राप्त करनेऑन लाइन डायवर्सन मॉडयूल द्वारा डायवर्सन की सुविधा दी गई है। साथ ही नामांतरण और बँटवारे की प्रक्रिया को भी एकदम सरल बना कर उसे कम्प्यूटरीकृत किया है।

कभी भी और कहीं भी प्राप्त करें भूमि के अभिलेख

राजस्व विभाग की इस पहल से अब नागरिक घर बैठकर कभी भी और कहीं भी की तर्ज पर अपनी भूमि के खसरेनक्शे एवं बी 1 की कॉपी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा एमपीऑनलाईन के 30 हजार से भी ज्यादा केन्‍द्र और लोक सेवा केन्द्रों से भी यह सेवा प्राप्त की जा सकती है। अब तक लगभग दो करोड़ दस्तावेज ऑनलाइन डिलीवर किये जा चुके हैं। भू-अभिलेख सेवाओं से इस वर्ष दिसंबर 2020 तक 23 करोड़ रूपये का राजस्व अर्जित किया गया ।

करोड़ दस्तावेज होंगे डिजिटाइज

राज्य सरकार के निर्देश पर राजस्व विभाग द्वारा प्रचलित दस्तावेजों के अलावा पुराने दस्तावेज भी ऑनलाईन उपलब्ध कराये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस दिशा में अभी तक 15 करोड़ दस्तावेजों को डिजिटाइज करने का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। जिसके तहत वर्ष 2020-21 में करोड़ दस्तावेजों को डिजिटाइज करने का लक्ष्य रखा गया है। अगले तीन वर्षों में डिजिटाइजेशन का कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा। इसके अलावा अतिरिक्त पुराने अभिलेखों की स्केनिंग एवं बारकोडिंग का कार्य भी कराया जा रहा है।

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