- एक लालची सेठ ने घर के पीछे छिपा रखे हजार सोने के सिक्के, सेठ रोज उन सिक्कों को गिनता था, एक दिन चोर ने सोने के सिक्के देख लिए
पुराने समय में एक सेठ बहुत कंजूस और लालची था। उसने धन बचा-बचाकर सोने के हजार सिक्के इकट्ठा कर लिए। सेठ ने सिक्कों को घर के पीछे एक पेड़ के नीचे मटके में छिपा रखा था। सेठ रोज शाम को पेड़ के पास जाता और अपने सिक्कों को गिनता था। इससे उसे बहुत खुशी मिलती थी।
सेठ के परिवार में कई बार पैसों की कमी आई, लेकिन उसने उन सिक्कों में से एक भी सिक्का खर्च नहीं किया। इसी तरह चार साल से ज्यादा समय गुजर गया। वह रोज सिक्के गिनता था।
एक दिन उसका पड़ोसी आया और उसने कहा कि मुझे मेरे बेटे को पढ़ाई के लिए बड़े नगर में भेजना है। अगर आप थोड़ा धन देकर मेरी मदद कर देंगे तो आपकी बड़ी कृपा होगी।
सेठ ये सुनते ही गुस्सा हो गया। उसने कहा कि भाई तुम्हें अपने बेटे को पढ़ाना है तो इसमें मैं क्या करूं? मैं मेरा धन तुम्हें क्यों दूं? तुम्हारा बेटा पढ़ाई करे या न करे, मुझे इससे क्या लेना-देना है। तुम मेरे घर से तुरंत निकल जाओ और आज के बाद कभी भी मदद मांगने मेरे घर मत आना।
पड़ोसी व्यक्ति दुखी होकर अपने घर लौट आया। उसी दिन शाम को सेठ रोज की तरह अपने सिक्के गिनने के लिए पेड़ के नीचे पहुंच गया। उसी समय वहां एक चोर भी छिपा हुआ था। चोर ने देख लिया कि सेठ के पास इतने सारे सोने के सिक्के हैं।
सेठ ने रोज की तरह अपने सिक्के गिने और उन्हें वहीं छिपाकर घर के अंदर चला गया। पीछे से चोर ने सारे सिक्के निकाल लिए और वहां से भाग गया। अगले दिन जब सेठ सिक्के गिनने पहुंचा तो वहां सिक्के नहीं थे। ये देखकर सेठ जोर-जोर से रोने लगा।
उसके पड़ोसी तुरंत ही सेठ के पास पहुंच गए। सेठ ने उन्हें बताया कि मैंने चार सालों से यहां सिक्के छिपा रखे थे, लेकिन आज सिक्के चोरी हो गए हैं। पड़ोसियों ने सेठ से कहा कि चार साल से ये सिक्के तुम्हारे काम नहीं आए, मतलब आगे भी ये सिक्के तुम्हारे काम नहीं आने वाले थे। तुमने इन सिक्कों का उपयोग किया ही नहीं। अगर सही समय पर इनका उपयोग करते तो आज ये चोरी नहीं होती। कंजूसी और लालच की वजह से तुमने कभी किसी की मदद भी नहीं की। अब दुखी होने से कोई लाभ नहीं है। आज से लालच जैसी बुराई को छोड़ने का संकल्प लो, ताकि भविष्य में फिर इस तरह की समस्या न आए।
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