अब सभी यह जानते हैं और मानते भी हैं कि परंपरागत विद्युत उत्पादन पर्यावरण के लिये नुकसानदायक होने के साथ जिन जीवाश्म ईंधन भण्डारों को बनने में लाखों साल लग जाते हैं, निरंतर दोहन से उनके भी समाप्त होने का खतरा उत्पन्न होता जा रहा है। ऐसे में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा बेहतर विकल्प के रूप में सामने आई है। मध्यप्रदेश देश का बड़ा सौर ऊर्जा केन्द्र बनकर उभर रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में पिछले डेढ़ दशक में तेज छलांग लगायी है। प्रदेश में एशिया की सबसे बड़ी 750 मेगावाट और 4000 करोड़ लागत की रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना से उत्पादन शुरू हो चुका है। वहीं विश्व की सबसे बड़ी 600 मेगावाट की ओंकारेश्वर सोलर फ्लोटिंग परियोजना का निर्माण प्रस्तावित है। इसके वर्ष 2023 तक पूरा होने की संभावना है। विश्व में अधिकांश विकास विद्युत पर आश्रित है।
नवकरणीय ऊर्जा
उत्पादन 30 मेगावाट से बढ़कर 5 हजार 44 मेगावाट पहुँचा
प्रदेश में
विद्युत की खपत और आपूर्ति में नवकरणीय ऊर्जा की लगभग 24 प्रतिशत भागीदारी है। वर्ष 2004 तक इन परियोजनाओं की क्षमता मात्र 30 मेगावाट थी, जो जनवरी 2021 की स्थिति में 5 हजार 44 मेगावाट पहुँच चुकी है। सौर ऊर्जा से 2381 मेगावाट, पवन ऊर्जा से 2444, बायोमास से 120 और लघु जल विद्युत ऊर्जा से 99 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है।
रीवा ने आज वाकई इतिहास रच
दिया है। सफेद बाघ के नाम से जाने जाना वाला रीवा अब सोलर प्लांट के नाम से भी
जाना जाएगा। यहाँ खेतों में लगे हजारों पैनल ऐसा अहसास दिलाते हैं, मानो खेतों में पैनल की फसल लहलहा रही हो या गहरे
समंदर का नीला पानी हो। इस अभूतपूर्व कार्य के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज
सिंह चौहान, क्षेत्र की
जनता सहित पूरी टीम बधाई की पात्र है। - प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी (10 जुलाई 2020 रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना लोकार्पण के समय) |
एशिया की सबसे
बड़ी परियोजना है रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना
एशिया की
सबसे बड़ी सौर परियोजना मध्यप्रदेश के रीवा जिले की गुढ़ तहसील के ग्राम बरसेता पहाड़, बदवार, रामनगर पहाड़, ईटार पहाड़ की असिचिंत भूमि पर स्थापित है। दुनिया की
सबसे सुनियोजित तरीके से स्थापित परियोजना को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 10 जुलाई 2020 को राष्ट्र को समर्पित किया। परियोजना से
अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की कम्पनियों की सहभागिता से सबसे कम टैरिफ
रिकार्ड रूपये 2.97 प्रति यूनिट
(बिना अनुदान के) प्राप्त हुई है। उत्पादित बिजली का 76 प्रतिशत अंश प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कम्पनी और शेष 24 प्रतिशत दिल्ली मेट्रो को जा रहा है। सस्ती बिजली
मिलने से दिल्ली मेट्रो को 793 करोड़ रूपये की बचत हो रही है। इसी तरह प्रदेश को भी 1600 करोड़ रूपये की बचत होगी। परियोजना की स्थापना से पहली
बार ग्रीन एनर्जी फण्ड प्राप्त करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।
परियोजना से प्रदेश की बिजली पर आत्म-निर्भरता बढ़ने के साथ मध्यप्रदेश का विश्व
स्तर पर महत्व भी बढ़ा है।
प्रदेश में बन
रहे हैं देश के बड़े सौर ऊर्जा पार्क
प्रदेश में
बड़े सौर ऊर्जा पार्क बनाने की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई है। प्रधानमंत्री श्री
नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022 तक देश में
एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। लक्ष्य को पूरा करने में
मध्यप्रदेश बड़ी भागीदारी निभाएगा। आगामी सौर परियोजनाओं के माध्यम से 10 हजार मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पादित होगी। प्रदेश
का सबसे बड़ा 1500 मेगावाट का
सौर ऊर्जा पार्क शाजापुर, आगर और नीमच जिलों में 6 हजार करोड़ रूपये से स्थापित किया जाएगा। सोलर पार्क से
मार्च 2022 तक उत्पादन
संभावित है। उत्पादित विद्युत को मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कम्पनी को दिया जाएगा।
इसका सीधा लाभ प्रदेश की प्रगति को मिलेगा। इसके अतिरिक्त छतरपुर जिले में 950 और मुरैना जिले में 1400 मेगावाट के सौर ऊर्जा पार्क स्थापित होंगे। इस तरह
आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के तहत नीमच, शाजापुर, आगर, मुरैना, छतरपुर और सागर जिलों में 18 हजार करोड़ रूपये से लगभग 4500 मेगावाट के सोलर पार्कों का विकास किया जाएगा।
विश्व की सबसे
बड़ी सोलर फ्लोटिंग परियोजना ओंकारेश्वर में
सोलर पार्क |
क्षमता |
स्थापना |
आगर-शाजापुर-नीमच
सोलर पार्क |
1500 |
दिसम्बर,2022 |
ओंकारेश्वर
फ्लोटिंग सोलर पार्क |
600 |
जुलाई,
2023 |
छतरपुर
सोलर पार्क |
950 |
जुलाई,
2023 |
मुरैना
सोलर पार्क |
1400 |
अक्टूबर,
2023 |
सोलर पम्प
योजना |
संख्या |
स्थापना
लक्ष्य |
सोलर पंप |
45000 नग |
जुलाई,
2023 |
तीन हजार
करोड़ रूपये से विश्व के सबसे बड़े 600 मेगावाट के ओंकारेश्वर सोलर फ्लोटिंग प्लांट जल्दी ही
शुरू होगा। परियोजना के लिये लगभग 2 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र चिन्हांकित कर लिया गया है।
वर्ल्ड बैंक द्वारा इसका सर्वे कार्य किया जा रहा है। इसे 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा।
सोलर रूफटॉप
परियोजनाओं से 41 मेगावाट के कार्य
प्रदेश में
सोलर रूफटॉप परियोजनाएँ काफी महत्वपूर्ण हैं। अब-तक 41 मेगावाट के 3 हजार 642 कार्य विभिन्न स्तरों पर कार्यशील हैं। प्रदेश के
पुलिस विभाग के भवनों, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, जेल, तकनीकी
संस्थान आदि शासकीय भवनों की छतों पर रूफटॉप परियोजनाऍं स्थापित की जा रही हैं। इस
वर्ष 2021-22 में 40 मेगावाट क्षमता के सौर रूफटॉप संयंत्रों को बड़े शासकीय
भवनों में स्थापित किया जाना है। मध्यप्रदेश के सोलर रूफटॉप कार्यक्रम में कई
नवाचार किये गये, जिन्हें
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना के साथ इनका अनुसरण भी किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री
कुसुम-'अ' योजना से किसानों को होगी अतिरिक्त
आमदनी
यह किसानों
की आर्थिक उन्नति वाली योजना है। किसान अपनी कम उपजाऊ या बंजर जमीन पर सोलर
संयंत्र की स्थापना कर राज्य शासन को न केवल बिजली बेच सकेंगे बल्कि खुद भी भरपूर
इस्तेमाल कर सकेंगे। परियोजना में प्रदेश के 357 किसानों ने अपनी 2 हजार 961 एकड़ भूमि पर 600 मेगावाट क्षमता की सोलर परियोजनाएँ लगाने की सहमति दी
है। विकासकों के चयन के लिये निविदा जारी कर दी गई है। वर्ष 2021-22
के लिये 100 मेगावाट का लक्ष्य रखा गया है।
प्रधानमंत्री
कुसुम-'स' योजना, 25 हजार पम्पों को सोलराइज करने का लक्ष्य
योजना में
खेती के लिये किसानों के यहाँ स्थापित ग्रिड कनेक्टेड सिंचाई पम्पों को सोलराइज
करने का काम किया जा रहा है। इसमें कृषि फीडर को सोलराइज कर किसानों को सिंचाई के
लिये नि:शुल्क बिजली उपलब्ध कराने के साथ अतिरिक्त आय का अवसर भी मिलेगा। खेत में
उचित क्षमता का सोलर पावर पैक स्थापित कर पम्प को ऊर्जित किया जायेगा। किसान को
अतिरिक्त उत्पादित होने वाली बिजली का लाभ अतिरिक्त आय के रूप में मिलेगा। वर्ष 2021-22
में 25 हजार ग्रिड कनेक्टेड सोलर पम्पों को सोलराइज करने का
लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री
सोलर पम्प योजना में 23,500 किसानों का पंजीयन
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर प्रदेश में लागू की गई मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना से किसानों को बहुत फायदा हुआ है। दूर-दराज इलाकों में भी किसान सोलर पम्प की सहायता से भरपूर सिंचाई कर फसलें ले रहे हैं। फसलें वर्षा आश्रित न रहने से गाँव से पलायन भी रूका है। वर्तमान वर्ष में अब-तक 6 हजार 871 सोलर पम्प स्थापित किये जा चुके हैं और लगभग 23 हजार 500 किसानों ने सोलर पम्प स्थापना के लिये पंजीयन कराया है। राज्य शासन का जुलाई 2023 तक 45 हजार सोलर पम्प स्थापना का लक्ष्य है।
शिवराज
सरकार-भरोसा बरकरार
कोरोना काल में दुग्ध पालकों के लिये अतिरिक्त आय बनी संबल-प्रेमसिंह पटेल
कोरोना काल में जहाँ पूरे विश्व में आर्थिक संकट छा
गया वहीं मध्यप्रदेश के किसानों को दूध विक्रय से अतिरिक्त आमदनी हुई। लॉकडाउन
अवधि में राज्य दुग्ध संघ द्वारा 2 करोड़ 54 लाख लीटर अतिरिक्त दूध किसानों से खरीदा गया। दुग्ध
उत्पादकों को इसके लिये 94 करोड़ रूपये की
राशि का अतिरिक्त भुगतान किया गया। प्रदेश में 7 हजार 193 दुग्ध सहकारी समितियाँ कार्यरत हैं। इनके माध्यम से
वर्ष 2020-21 में करीब 9 लाख किलोलीटर दूध संकलित किया गया। दुग्ध उत्पादकों को
उस समय बहुत राहत मिली जब निजी संयंत्रों द्वारा दुग्ध क्रय बंद कर दिया गया लेकिन
राज्य शासन के दुग्ध संघों ने दूध का संकलन जारी रखा। दूध की आपूर्ति करने वाले
किसानों को इस वित्त वर्ष 2020-21 में 902 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया।
भारतीय संस्कृति में सदियों से पशुपालन ने
अर्थ-व्यवस्था और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भी ग्रामीण
क्षेत्रों में विशेषकर भूमिहीन, छोटे किसानों
और महिलाओं में पशुपालन आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन है। कोरोना के बावजूद
पशुपालन विभाग ने अपनी गतिविधियाँ जारी रखते हुए पशुपालकों की सुविधा का हरसंभव
ध्यान रखा। आलोच्य अवधि में फरवरी तक प्रदेश में एक करोड़ 42 लाख से ज्यादा पशुओं का उपचार और करीब 4 करोड़ 52 पशुओं का टीकाकरण किया गया। इसी तरह लगभग 30 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान, 2 लाख से ज्यादा का प्राकृतिक गर्भाधान, प्राकृतिक गर्भाधान से साढ़े 4 लाख से ज्यादा वत्सोपादन एवं सवा 7 लाख से ज्यादा बधियाकरण किया गया।
गत वर्ष पशुधन संजीवनी योजना
में कॉल सेंटर पर 3 लाख 21 हजार 776 कॉल मिले, जिसके विरूद्ध 2 लाख 51 हजार 880 पशुओं का उपचार किया गया। प्रदेश के सभी विकासखंडो में
लागू इस योजना में टोल-फ्री नंबर 1962 पर कॉल करने पर चलित पशु चिकित्सा इकाई के माध्यम से
पशुओं का उपचार किया जाता है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सभी
गाय-भैंस वंशीय पशुओं को एफ.एम.डी. और ब्रुसेल्ला रोग का टीका लगाया जाता है।
कार्यक्रम में लक्षित पशुओं को यूआईडी टैग लगाया जा रहा है। पहले चरण में ढाई करोड़
से ज्यादा गाय-भैंस वंशीय पशुओं को एफ.एम.डी. का टीका लगाया गया है। प्रदेश में
कार्यक्रम का पहला चरण पूरा हो गया है।
राज्य शासन द्वारा बेसहारा
गौ-वंश के संरक्षण के लिये 1004 गौ-शालाएँ स्वीकृत की गईं थीं। इनमें से 963 गौ-शालाएँ पूर्ण होकर 905 गौ-शालाओं का संचालन प्रारंभ हो चुका है। इसके अलावा
इस वित्त वर्ष में स्वीकृत 2365 गौ-शालाओं में से 1808 गौ-शालाएँ निर्माणाधीन हैं। प्रदेश में साढ़े 8 लाख से ज्यादा निराश्रित गौ-वंश हैं। अशासकीय संस्थाओं
द्वारा 627 गौ-शालाओं
में एक लाख 66 हजार
निराश्रित गौ-वंश का पालन किया जा रहा है।
आगर-मालवा जिले की सुसनेर तहसील के गाँव सालरिया में 462.63 हेक्टेयर क्षेत्र में गौ-अभयारण्य अनुसंधान एवं
उत्पादन केन्द्र स्थापित है। केन्द्र में लगभग 4 हजार 900 वृद्ध, बेसहारा और बीमार गौ-वंश की सेवा की जा रही है।
अभयारण्य में गौ-काष्ठ, वर्मी कम्पोस्ट खाद, गौ-मूत्र फिनायल आदि भी बनाया जा रहा है।
हितग्राही मूलक योजनाओं में 514 मुर्रा सांड, 119 गौ-सांड, 6827 कुक्कुट इकाई, 2950 कड़कनाथ के लिये अनुदान राशि दी गई। आचार्य विद्यासागर
गौ-संवर्धन योजना में अब तक 6800 हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा चुका है। इस वर्ष प्रदेश में 23 हजार 794 अंडा उत्पादन हुआ। प्रदेश में प्रति व्यक्ति दूध की
उपलब्धता 543 ग्राम
प्रतिदिन रही, जो राष्ट्रीय औसत 352 ग्राम से अधिक है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन में पशु प्रजनन प्रक्षेत्र रतौना
(सागर) में गोकुल ग्राम की स्थापना की गई, जिसका लोकार्पण 30 दिसंबर 2020 को किया गया। संस्थान में थारपारकर, साहीवाल आदि देशी गायों की नस्लों का संरक्षण और
संवर्धन किया जायेगा। मिशन में मैत्री की स्थापना के लिये मध्यप्रदेश में 5 वर्षों में 12 हजार 149 भौतिक और 98.40 करोड़ का वित्तीय लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2020-21
में 1100 मैत्री के प्रशिक्षण के लिये 8 करोड़ 90 लाख रूपये की राशि विमुक्त की गई।
भोपाल के केन्द्रीय वीर्य संस्थान में सेक्स सॉरटेड
सीमन उत्पादन प्रयोगशाला के लिये 47.50 करोड़ की परियोजना स्वीकृत की गई। यह देश की तीसरी
प्रयोगशाला है। यहाँ साहीवाल, गिर, थारपारकर गाय और मुर्रा जाफराबादी आदि भैंस नस्लों से 90 प्रतिशत बछिया और सीमित मात्रा में बछड़ों का उत्पादन
किया जायेगा। इससे उन्नत किस्म की दुधारू गाय, भैंस अधिक मात्रा में मिलेंगी।
दुग्ध उत्पादक किसानों को अच्छी आमदनी उपलब्ध कराने के
उद्देश्य से भी अनेक गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं। सेंधवा में साढ़े 4 करोड़ की लागत से 40 हजार लीटर प्रतिदिन क्षमता का नवीन दुग्ध संयंत्र
स्थापित किया गया है। इंदौर में 4 करोड़ की लागत
से आइस्क्रीम संयंत्र तथा बटर चिपलेट मशीन, खंडवा में 25 हजार लीटर, सागर में एक लाख लीटर क्षमता के दुग्ध संयंत्रों का
निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। जबलपुर में लगभग 10 करोड़ की लागत से 10 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता के ऑटोमेटिक पनीर निर्माण
संयंत्र का निर्माण कार्य भी पूर्ण हो चुका है। वहीं दूध और दुग्ध उत्पाद की
गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये भोपाल में अत्याधुनिक प्रयोगशाला की स्थापना का
कार्य प्रगति पर है।
पहली बार औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के सहयोग से डेयरी संयंत्रों के लिये उपयुक्त दूध एवं दुग्ध पदार्थ तक्नीशियन का नया ट्रेड शुरू किया गया है। कोरोना काल में उपयोगिता के मद्देनजर गोल्डन मिल्क (हल्दी दूध) भी शुरू किया गया। प्रदेश में स्मार्ट सिटी की अवधारणा के अनुरूप मिल्क पार्लर को नये तरीके से डिजाइन किया गया है।
शिवराज
सरकार-भरोसा बरकरार
मध्यप्रदेश बिजली के क्षेत्र में स्थापित कर रहा है नित नये आयाम - प्रद्युम्न सिंह तोमर
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के दूरदर्शी और
संकल्पवान नेतृत्व में मध्यप्रदेश बिजली के क्षेत्र में नित नये आयाम स्थापित कर
रहा है। प्रदेश में विद्युत क्षेत्र के विकास और विस्तार के लिए सभी आवश्यक और
सुविचारित कदमों का उठाया जाना इन आयामों को छूने के पीछे है। परिणाम भी सामने है
और वह यह कि 31 दिसंबर, 2020 की स्थिति में प्रदेश की उपलब्ध विद्युत क्षमता 21 हजार 361 मेगावॉट हो जाना। इसी दिन प्रदेश के इतिहास में
सर्वाधिक 15 हजार 425 मेगावॉट शीर्ष मांग की पूर्ति भी सफलतापूर्वक की गई
है।
वित्तीय वर्ष 2021-22
में उपलब्ध विद्युत क्षमता में 1 हजार 426 मेगावाट वृद्धि का लक्ष्य है। प्रदेश में पारेषण
हानियाँ भी अब मात्र 2.59 प्रतिशत रह
गई हैं, जो पूरे देश में न्यूनतम
हानियों में से एक है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 6006 करोड़ यूनिट विद्युत प्रदाय किया गया, जो पिछले वर्ष से 9 प्रतिशत अधिक है।
प्रदेश में विद्युत व्यवस्था
प्रणाली की मजबूती के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में कई उल्लेखनीय कार्य किए गए। इनमें उपलब्ध विद्युत
क्षमता में 394 मेगावाट की
वृद्धि, 14 नये अति उच्च
दाब उप केन्द्रों की स्थापना, एक हजार 72 सर्किट किलोमीटर अति उच्च दाब और एक हजार 645 किलोमीटर उच्च दाब लाइनों का निर्माण, 11 नये 33/11 किलोवाट उप केन्द्रों की स्थापना एवं 2005 वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना के कार्य प्रमुख हैं।
इससे इस अवधि में उपभोक्ताओं की संख्या में एक लाख 90 हजार की वृद्धि हुई है।
'आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश' रोडमैप में भविष्य की विद्युत माँग की सुचारू आपूर्ति
के लिए पारेषण प्रणाली के विस्तार कार्यक्रम में 4000 करोड़ रुपये की लागत के ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर एवं टैरिफ
आधारित प्रतिस्पर्धात्मक निविदाओं के जरिए अति उच्च दाब उप केन्द्रों एवं उससे
संबंधित लाइनों का निर्माण शामिल किये गये हैं। ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर में 90 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। जून 2021 तक अधिकांश काम पूरा कर लिया जाएगा। टैरिफ आधारित 2000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के जरिए पहली परियोजना
का कार्य प्रगतिरत है, जिसे वर्ष 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा।
लॉकडाउन में उपभोक्ताओं को विद्युत देयकों में राहत
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह
चौहान नेलॉकडाउन अवधि में बिजली उपभोक्ताओं की तकलीफ को महसूस कर उनके हित में
अनेक निर्णय लिये। इन निर्णयों से उपभोक्ताओं को 1000 करोड़ से अधिक की राहत मिली।ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ता, जो संबल योजना के हितग्राही हैं एवं जिनके माह अप्रैल, 2020 में देयक की राशि 100 रूपये तक थी, से मई, जून एवं जुलाई इन तीन माहों में सिर्फ 50 रूपये प्रतिमाह की राशि का ही भुगतान लिया गया।
प्रदेश के ऐसे सभी घरेलू
उपभोक्ता, जिनके माह अप्रैल, 2020 में देयक की राशि 100 रूपये तक थी, उनके मई, जून एवं जुलाई, 2020 में देयक राशि 100 रूपये से 400 रूपये तक आने पर उनसे इन तीन माहों में मात्र 100 रूपये प्रतिमाह की राशि का भुगतान लिया गया। प्रदेश के
ऐसे घरेलू उपभोक्ता, जिनकी माह अप्रैल, 2020 में देयक राशि रूपये 100 से अधिक परन्तु रूपये 400 या उससे कम थी, उनके मई, जून एवं जुलाई, 2020 में देयक राशि 400 रूपये से अधिक आने पर उनसे इन तीन माहों में देयक की
आधी राशि का ही भुगतान लिया गया। शेष आधी राशि का भुगतान आस्थगित किया गया है।
प्रदेश के निम्न दाब गैर घरेलू
एवं निम्न दाब औद्योगिक उपभोक्ताओं तथा उच्च दाब टैरिफ एचव्ही-3 उपभोक्ताओं से माह अप्रैल, मई एवं जून 2020 के विद्युत देयकों में स्थायी प्रभार की वसूली को
आस्थगित कर यह राशि माह अक्टूबर, 2020 से मार्च, 2021 के विद्युत
देयकों के नियमित भुगतान के साथ, छः समान
किश्तों में बिना ब्याज के ली जाने की सुविधा दी गई है।
प्रदेश के उच्च दाब सहित सभी
उपभोक्ताओं द्वारा लॉकडाउन के चलते अप्रैल एवं मई माह में देय विद्युत बिलों का
भुगतान सामान्य नियत तिथि तक करने पर एक प्रतिशत की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी गई।
इसमें निम्न दाब उपभोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन राशि अधिकतम रूपये दस हजार मात्र
तथा उच्च दाब उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम रूपये एक लाख मात्र निर्धारित की गई।
उपभोक्ताओं को अपनी संविदा मांग
में कमी करने की सुविधा भी दी गई। इसका लाभ लेने पर उनके नियत प्रभार और न्यूनतम
प्रभार में कमी आई।
उपभोक्ता हितैषी अन्य निर्णय
मुख्यमंत्री श्री चौहान के इस
एक साला कार्यकाल में विद्युत उपभोक्ताओं को राहत देने का सिलसिला यहीं नहीं रुका।
एक किलोवाट तक के भार वाले घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए अगस्त, 2020 तक की बकाया राशि को आस्थगित कर सिर्फ चालू माह के
देयक ही जारी किए जा रहे हैं। सभी पात्र घरेलू उपभोक्ताओं से भी उनकी पहली 100 यूनिट तक की मासिक खपत पर मात्र 100 रुपये लिए जा रहे हैं। अनुसूचित जाति/जनजाति के गरीबी
रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को 30 यूनिट तक की मासिक खपत पर सिर्फ 25 रूपये ही देने होते हैं। अंतर राशि का भार राज्य शासन
वहन कर रहा है। इससे प्रति माह लगभग एक करोड़ घरेलू उपभोक्ता लाभांवित हो रहे हैं।
वर्तमान रबी सीजन में कृषि उपभोक्ताओं को दिन के समय
अधिक बिजली देने के लिए फ्लेक्सी प्लान लागू किया गया है। कृषि कार्य के लिए लगभग 22 लाख कृषि उपभोक्ता को फ्लैट दरों पर बिजली दी जा रही
है। एक हेक्टेयर तक की भूमि एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले अनुसूचित
जाति/जनजाति के 8 लाख कृषि उपभोक्ता को मुफ्त
बिजली दी जा रही है।
उपभोक्ताओं से हर स्तर पर सीधे संवाद
विद्युत शिकायतों के निराकरण की प्रक्रिया में
जन-भागीदारी सुनिश्चित की गयी है। उपभोक्ताओं से हर स्तर पर सीधे संवाद की
व्यवस्था की गई है। विद्युत प्रदाय की शिकायतों के जल्द हल के लिए केन्द्रीयकृत
कॉल सेंटरों को सुदृढ़ किया गया है। वर्ष 2020-21 में प्राप्त सभी साढ़े 21 लाख से ज्यादा शिकायतों को हल किया गया है।
करीब 3 लाख 80 हजार
उपभोक्ताओं से शिकायतों के हल का संपर्क में औसत संतुष्टि प्रतिशत 98.39 पाया गया है। गलत देयकों से संबंधित 33 हजार से अधिक शिकायतों को शिविर लगाकर मौके पर ही दूर
किया गया है।
ऊर्जा क्षेत्र की योजनाएँ
किसानों को शीघ्र स्थाई सिंचाई पंप कनेक्शन दिये जाने
के लिये लागू स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना में किसान अपने खर्च से, निर्धारित मापदंड अनुसार 73 हजार 257 ट्रांसफार्मर स्थापित कर चुके हैं। शहरी क्षेत्र में
मीटरीकरण, वितरण प्रणाली सुदृढ़ीकरण तथा आई.टी.
कार्यों की 50 परियोजनाओं
के सभी कार्य पूर्ण हो गये हैं।
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में भी फीडर
विभक्तिकरण, मीटरीकरण, वितरण प्रणाली सुदृढ़ीकरण तथा ग्रामीण विद्युतीकरण
कार्यों की सभी 50 परियोजनाओं
के कार्य पूरे हो गये हैं।
विद्युत सेवाओं में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के क्षेत्र में
दक्षता मोबाइल एप से प्रतिमाह 41 लाख 34 हजार उपभोक्ताओं की फोटो मीटर रीडिंग की जा रही है।
कम्पनी ने एन.जी.बी. नाम से नया बिलिंग सिस्टम तैयार किया है, जिसकी प्रोसेसिंग स्पीड काफी तेज है तथा जिसे ऑपरेट
करना भी आसान है।
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा निम्न दाब
उपभोक्ताओं द्वारा स्वयं की गई मीटर रीडिंग के आधार पर बिलिंग की कार्यवाही की गई
है। सभी उपभोक्ता सुविधाओं को एक ही प्लेटफार्म से उपलब्ध कराने के लिए WhatsApp
chatbot का विकास किया गया है। कंपनी
कार्यक्षेत्र में बिजली चोरी एवं बिजली के अनाधिकृत उपयोग को पकड़ने एवं रोकने के
लिए मोबाइल ऐप उपयोग किया जा रहा है। संकल्प एप्लीकेशन में मौजूदा एलटी उपभोक्ताओं
के लिए नये सर्विस कनेक्शन के साथ भार परिवर्तन, नाम एवं टैरिफ श्रेणी में परिवर्तन जैसी नई सुविधाएँ
जोड़ी गई हैं।
पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा उपभोक्ता
के घर पहुँच कर बिल भुगतान की सुविधा जा रही है। फोटो मीटर रीडिंग सॉफ्टवेयर से
एलटी उपभोक्ताओं की मीटर रीडिंग ली जा रही है।सॉफ्टवेयर तैयार कर सब-स्टेशन/डीटीआर
एवं एलटी लाइन के परीक्षण एवं संधारण की गतिविधियों की मॉनिटरिंग की जा रही है।
प्रस्तावित ताप विद्युत परियोजनाएँ
अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई में प्रस्तावित 18660 मेगावाट सुपरक्रिटिकल इकाई की अनुमानित लागत 4665 करोड़ 87 लाख है। इसे वित्तीय वर्ष 2026-27
में प्रारम्भ किया जाना
प्रस्तावित है। सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी में प्रस्तावित 1x660 मेगावाट सुपरक्रिटिकल इकाई की अनुमानित लागत 4616 करोड़ 36 लाख है। इसे वित्तीय वर्ष 2027-28
में प्रारम्भ किया जाना
प्रस्तावित है।
पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी की प्रमुख उपलब्धियाँ
इस वित्त वर्ष में दिसंबर, 2020 तक 1428 स्किट कि.मी. पारेषण लाइनों का निर्माण तथा अति उच्च दाब उप
केंद्रों में 3272 एम.व्ही.ए.
की क्षमता वृद्धि की गई है। इससे अब प्रदेश में पारेषण लाइन 38 हजार 678 सर्किट कि.मी. तथा अति उच्च दाब उप केंद्रों की क्षमता
68 हजार 443 एम. व्ही. ए. हो गई है।
स्काडा सिस्टम
प्रदेश की पारेषण प्रणाली के संचालन एवं संघारण में
उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए पृथक स्व-चालित नियंत्रण प्रणाली जबलपुर, भोपाल एवं इंदौर में स्थापित कर सभी उच्च दाब
उपकेन्द्रों से संबद्ध किया जा चुका है।
इंसुलेटेड एलीवेटेड वर्क प्लेटफार्म सिस्टम
प्रदेश में इंसुलेटेड वर्क प्लेटफार्म एवं
स्काफोल्डिंग सिस्टम द्वारा अति उच्च दाब लाइनों का संधारण किया जा रहा है।
इमरजेंसी रिस्टोरेशन सिस्टम में पारेषण लाइनों के टावरों के आंधी/तूफान अथवा किसी
अन्य कारण से धराशाई/क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में कंपनी द्वारा क्षतिग्रस्त
टावर के स्थान पर नये टावर लगाने का कार्य किया जाता है।
गैस
इन्सुलेटेड सब स्टेशन
प्रदेश की बढ़ती हुई विद्युत मांग को पूरा करने के
लिये नवीन उपकेन्द्रों की स्थापना में शहरी क्षेत्र में उचित भूमि की उपलब्धता की
समस्या के निराकरण के लिए गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन एक सशक्त विकल्प के रूप में
स्थापित हो रहे हैं।
मल्टी सर्किट मल्टी वोल्टेज मोनोपोल स्ट्रक्चर
सघन आबादी वाले क्षेत्रों में पारेषण क्षेत्र में
अधिकाधिक मार्गाधिकार सुनिश्चित करने हेतु टावर के आधार क्षेत्र को कम करने के लिए
ठोस सँकरे आधार वाले मल्टी सर्किट मल्टी वोल्टेज मोनोपोल स्ट्रक्चर का उपयोग किया
जा रहा है।
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