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भारतीय छात्रों को पछाड़ गोल्ड मेडल जीता:स्पेन की मारिया ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में किया टॉप, काशी में बनी संस्कृत की आचार्य, अब अपने देश में देंगी शिक्षा

 

पूरे विश्व का ज्ञान लेना है तो भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत पढ़ें... यह कहना है सात समंदर पार यूरोपीय देश स्पेन की मारिया का। वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से मारिया ने संस्कृत में ‘पूर्व मीमांसा’ विषय से ‘आचार्य’ की डिग्री लेने के साथ ही भारतीय छात्रों को पछाड़ कर विश्वविद्यालय में ‘टॉप’ किया। मारिया को मंगलवार को उप्र की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गोल्ड मेडल और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया।

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि यह मेडल मात्र एक भाषा और विषय को नहीं, बल्कि इस बात को भी दर्शाता है कि हमारी सभ्यता और संस्कृति आगे बढ़ रही है।आंनदी बेन दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर रहीं थी। मुख्य अतिथि मालदीव में पूर्व राजदूत और विदेश मंत्रालय में अपर सचिव अखिलेश मिश्र थे। विश्ववविद्यालय के 38वें दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के शताब्दी भवन में 29 मेधावियों को कुल 57 मेडल मिले।


राज्यपाल पटेल ने कहा संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं, हमारी परंपरा को गतिमान करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके साथ-साथ समस्त भारतीय भाषाओं की पोषिका है। संस्कृत ज्ञान के बिना किसी भी भारतीय भाषा में पूर्णता प्राप्ति नहीं हो सकती है। इस विद्या में मात्र कर्मकांड नहीं है अपितु आर्य भट्ट, वास्तु शास्त्र 64 कलाएं, राजनीतिक शास्त्र, नीति शास्त्र, समाज शास्त्र, नाट्य शास्त्र, आदि अनेक लोक उपयोगी विषय निहित है जो आज भी प्रसांगिक है। इसी से संपूर्ण विश्व में आध्यात्म का विस्तार हुआ है। संस्कृत भाषा व सनातन संस्कृति के कारण ही देश एकता के सूत्र में बंधा हुआ है। बता दें 1791 में स्थापित संस्कृत महाविद्यालय ही अब सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय को 1958 में उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. संपूर्णानंद ने बनाया था। उस समय इसका नाम वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय था। 1974 में इसका नाम बदलकर ‘सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय’ रख दिया गया।

संस्कृत में विश्व का ज्ञान भरा है, इसलिए स्पेन से काशी आईं

उपाधि मिलने के बाद मारिया ने कहा कि संस्कृत ऐसी भाषा है जिसमें पूरे विश्व का ज्ञान भरा पड़ा है। इसलिए स्पेन से संस्कृत की शिक्षा के लिए काशी के सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्ववविद्यालय में प्रवेश लिया। गुरुओं के आशीर्वाद से आचार्य की उपाधि मिली है। अब मैं जीवन भर देव भाषा संस्कृत का प्रचार-प्रचार स्पेन में करूंगी।


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