- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 2 मार्च को, गणेशजी के सामने धूप-जलाकर 12 मंत्रों का जाप करें
मंगलवार, 2 मार्च को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अंगारक गणेश चतुर्थी है। जब मंगलवार को चतुर्थी आती है तो उसे अंगारक चतुर्थी कहा जाता है। इस तिथि पर गणेशजी के साथ मंगल ग्रह और हनुमानजी की विशेष पूजा करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस तिथि पर गणेशजी के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है। मंगलवार का स्वामी ग्रह मंगल है। इस वजह से चतुर्थी पर मंगल ग्रह के लिए भी पूजा-पाठ की जाती है। मान्यता है कि मंगलवार को ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। इसी वजह से हर मंगलवार हनुमानजी की पूजा जरूर करनी चाहिए। धूप-दीप जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
ग्रहों का सेनापति है मंगल ग्रह
ज्योतिष में मंगल को नौ ग्रहों में सेनापति का पद मिला हुआ है। ये ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। अंगारक चतुर्थी पर गणेश पूजन करें। इसके बाद मंगल ग्रह को या शिवलिंग पर लाल फूल और लाल गुलाल चढ़ाना चाहिए। इस ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में ही की जाती है।
अंगारक चतुर्थी के योग में मंगल के लिए भात पूजा भी की जा सकती है। इस पूजन में शिवलिंग का पके हुए चावल से श्रृंगार किया जाता है और फिर विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऊँ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। किसी गौशाला में हरी घास का दान करें। माता का आशीर्वाद लेकर दिन की शुरुआत करें।
गणेशजी के 12 मंत्रों का जाप करें
चतुर्थी पर घर के मंदिर में गणेशजी के सामने धूप-दीप जलाएं। आप चाहें तो किसी गणेश मंदिर भी जा सकते हैं। गणेशजी को सिंदूर, दूर्वा, हार-फूल, चावल, फल, प्रसाद आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें।
पूजा में गणेशजी को दूर्वा और जनेऊ चढ़ाएं। फलों का भोग लगाएं। दीपक जलाकर आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
गणेशजी के 12 नाम वाले मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें। गणेशजी के मंत्र- ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम:।
जो लोग चतुर्थी पर व्रत करते हैं, उन्हें पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। फलाहार कर सकते हैं। पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।
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