- 75% सहायता राशि के रूप में उद्योगों को दिया जाता था, टैक्स राशि का
मप्र शासन की कैबिनेट बैठक में मंगलवार को उद्योगों के लिए जून 2018 में जारी की गई सहायता राशि स्कीम की दो बड़ी तकनीकी बाधाओं को दूर कर दिया। इससे अब उद्योगों को रुकी हुई सहायता राशि मिलने का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, जीएसटी आने से पहले लागू वैट के तहत उद्योगोें को मप्र में निवेश पर अलग-अलग दायरे में ढाई सौ फीसदी तक की सहायता राशि दी जाती थी, लेकिन बाद में जीएसटी लागू होने पर यह सहायता बंद हो गई।
जून 2018 में शासन ने अपने खजाने से ही उद्योगों को मदद देने के लिए सहायता राशि योजना लागू की, जिसमें जमा की जाने वाली नकद टैक्स राशि का 75 फीसदी सहायता राशि के रूप में उद्योगों को दिया जाता था, लेकिन इसमें दो तकनीकी अड़चन थी, जिसे अब दूर किया है।
यह थी अड़चनें : स्टॉक ट्रांसफर पर नहीं मिलती थी सहायता राशि
1. सहायता राशि योजना में शासन ने कहा था कि यदि कोई इकाई स्टॉक ट्रांसफर (यानी कंपनी अपनी ही किसी यूनिट को माल देती है) करती है तो इस पर सहायता राशि नहीं देंगे, क्योंकि यह वैट में भी प्रावधान था। बाद में समस्या आई कि जीएसटी में स्टॉक ट्रांसफर शब्द ही नहीं है और हर लेन-देन पर टैक्स है। इस पर कमेटी के सुझाव पर यह कर दिया गया है कि यदि इकाई ऐसी इकाई को माल देती है, जिसके मालिक का पैन नंबर एक ही है तो यह छूट नहीं मिलेगी।
2. एक अन्य प्रावधान इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेकर था। इसे लेकर स्पष्ट किया है कि करदाता या इंडस्ट्री की सहायता या इंसेंटिव राशि जो बनती है और उसके पास यदि इनपुट टैक्स क्रेडिट बाकी है तो, मप्र शासन इस अंतर की राशि का भी भुगतान करेगा। जैसे करदाता की सहायता राशि 15 लाख बन रही और उसके पास क्रेडिट 10 लाख की है, तो शासन द्वारा पांच लाख का भुगतान सहायता राशि में किया जाएगा।
0 टिप्पणियाँ