- आंवले में होता है देवी-देवताओं का अंश, आयुर्वेद में अमृत के समान औषधि भी कहा जाता है इस फल को
फाल्गुन महीने के शुक्लपक्ष में पुष्य नक्षत्र पर आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की और भगवान विष्णु की पूजा करने का महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन आंवले की पूजा करने से मनुष्य के लिए वैकुण्ठ धाम के दरवाजे खुल जाते हैं। इस साल पंचांग भेद होने के कारण आमलकी एकादशी व्रत 24 और 25 मार्च को किया जाएगा।
कैसे करें व्रत
आमलकी एकादशी के व्रत करने से पूर्व मनुष्य को शुद्ध भाव से व्रत करने का संकल्प करना चाहिए। स्नानादि क्रियाएं पूरी कर के भगवान विष्णु का श्रद्धा से धूप, दीप, नैवेद्य, फल और फूलों से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में आंवले की टहनी को कलश में स्थापित करके पूजन करना अति उत्तम माना गया है। इस दिन आंवला खाना और दान करना पुण्यकारी है।
इसमें होते हैं औषधीय गुण
आंवले के पेड़ को पुराणों में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अगर आमलकी एकादशी का व्रत कर के आंवले के पेड़ की पूजा की जाए तो सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं। क्योंकि इस पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है। आंवले के वृक्ष को स्वयं भगवान विष्णु ने उत्पन्न किया था। यह जितना धार्मिक दृष्टि से उपयोगी एवं पूज्यनीय है उतना ही इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं।
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