- बयान के बाद ट्रायल शुरू करने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
हाई कोर्ट की डिविजन बेंच द्वारा आदेश जारी किए गए थे कि भ्रष्टाचार के मामलों में जिस अफसर के द्वारा केस चलाए जाने की अनुमति दी जाएगी, उसके बयान कोर्ट में दर्ज कराए जाने के बाद ही आरोपी के खिलाफ ट्रायल चलाया जा सकेगा। हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ लोकायुक्त संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। अब स्वीकृति मिलते ही भ्रष्टाचार निवारण एजेंसी केस चला सकेगी।
घूस लेते पकड़ाए बिजली कंपनी के इंजीनियर ने दे थी हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस. अब्दुल नजीर, जस्टिस संजीव सिन्हा की खंडपीठ के समक्ष इस अपील पर सुनवाई हुई थी। लोकायुक्त संगठन ने बिजली कंपनी के इंजीनियर रविशंकर को 15 हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा था। उसके खिलाफ केस बनाया गया। इंजीनियर की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।
हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आदेश दिए कि इंजीनियर के खिलाफ केस चलाने की अनुमति जिस अफसर ने दी, उसके भी बयान कोर्ट में कराए जाएं। उसके बाद ही ट्रायल चलाया जा सकता है। इसी आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी।
एसएलपी में उल्लेख किया कि विगत 8 मई 2020 को हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया, वह त्रुटिपूर्ण है। अभियोजन की स्वीकृति मिलना ही केस चलाने के लिए काफी है। अनुमति देने वाले अधिकारी के बयान कराए जाने की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाते हुए नोटिस जारी किए हैं।
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