- स्तावेजों की पड़ताल किए बिना व्यापारी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज करा दिया
खाद्य विभाग के अफसरों की छापामार कार्रवाई में बड़ी लापरवाही सामने आई है। अफसरों ने दस्तावेजों की पड़ताल किए बिना ही व्यापारी के खिलाफ बाणगंगा थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज करा दिया। इसकी जानकारी जब व्यापारी को लगी तो उसने वकील की मदद से कोर्ट से जमानत ले ली। साथ ही दस्तावेजों की फिर से जांच कराने की मांग भी की।
इसमें पता चला कि खाद्य अधिकारी राजू सोलंकी ने सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजे संलग्न पत्र में जो जानकारी भरी, उसे व लेबल की प्रति को भी अनदेखा कर लैब विशेषज्ञ ने सैंपल को मिथ्या छाप बता दिया। इसी रिपोर्ट के आधार पर सोलंकी ने पुलिस को आवेदन देकर धोखाधड़ी का केस दर्ज करवा दिया। इस घटना से जिला प्रशासन के साथ खाद्य विभाग की छवि भी खराब हुई है। विभाग ने 17 दिसंबर 2020 को बापू इंडस्ट्रीज पर छापामार कार्रवाई करते हुए 12 सैंपल लिए थे। इसमें विक्रांत जीरा, पौष्टिक रिफाइंड सोयाबीन ऑयल, तिरुपति ऑयल, खड़ी हल्दी, लाल मिर्च, धनिया पाउडर आदि शामिल हैं। रिपोर्ट में तीन सैंपल मिथ्या छाप निकले। इसे आधार बनाकर खाद्य अधिकारी राजू सोलंकी ने बाणगंगा थाने में बापू इंडस्ट्रीज के मालिक महेश चेलानी के खिलाफ केस दर्ज करा दिया।
सैंपल के साथ संलग्न पत्र देखे बगैर ही लैब विशेषज्ञ ने बता दिया मिथ्या छाप, पुलिस ने भी नहीं की पड़ताल
इसके बाद बागणंगा पुलिस ने पौष्टिक रिफाइंड सोयाबीन ऑयल के मालिक गुरमुखदास तलरेजा और तिरुपति ऑयल के निर्माता संस्थान एनके प्रोटीन गुजरात को भी सह आरोपी बनाया।
इधर, तलरेजा ने एडवोकेट विनायक बालचंदानी के मार्फत सीएमएचओ को पत्र लिखा कि जो सैंपल जब्त किए गए थे, उनकी सामने जांच कराई जाए। यह भी लिखा कि उनके उत्पाद को मिथ्या छाप केवल इसलिए घोषित किया, क्योंकि उस पर फ्री फ्रॉम अर्जीमन ऑयल नहीं लिखा था, जबकि सैंपल के साथ राजू सोलंकी ने जो फॉर्म 5 क भरकर भेजा था, उसमें इसके बारे में जानकारी अंकित की थी।
उसे नजरअंदाज करते हुए भोपाल की लैब ने उसे मिथ्या छाप बता दिया। वहीं पुलिस ने भी जो सैंपल जब्त किए, उसकी जांच की ही नहीं। केवल खाद्य अधिकारी सोलंकी के आवेदन को आधार मानते हुए ही एफआईआर दर्ज कर ली। साथ ही सोलंकी ने भी भोपाल से आए सैंपल रिपोर्ट को दोबारा चेक करने में लापरवाही बरती।
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