एक सच्चे नेतृत्व की पहचान संकट के समय में ही होती है। कोरोना संक्रमण के विश्वव्यापी दौर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 130 करोड़ भारतीयों को यह संदेश दिया कि यदि देश के आत्म-गौरव की रक्षा करनी है तो एक ही उपाय है - आत्म-निर्भर भारत का निर्माण। आत्म-निर्भरता कोई साधारण शब्द नहीं है - यह पहली बार अपनी ताकत को पहचानने की दिशा में लगाई गई ऊँची छलांग है।
प्रधानमंत्री के इस संदेश के अनुरूप काम करने के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 'चरवैति-चरवैति' को अपना ध्येय वाक्य बनाकर आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप को आकार देना प्रारंभ किया। नीति आयोग, भारत सरकार के सहयोग से पिछले वर्ष अगस्त माह में राष्ट्रीय स्तर के वेबिनार्स किए गए। इन वेबिनार्स में 4 समूहों और 18 उप समूहों में 635 विद्वानों और विषय-विशेषज्ञों द्वारा आत्म-निर्भरता के प्रत्येक पहलू पर गहन चिंतन-मंथन कर 259 अनुशंसाएँ प्रस्तुत की गयीं।
इस विचार-विमर्श से जो अमृत निकला, उन्हीं अनुशंसाओं को समाहित करते हुए आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप तैयार किया गया। इस तरह मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य बना, जिसने आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण का रोडमैप तैयार कर उसे 12 नवंबर, 2020 से प्रभावशील भी कर दिया। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण का ताना-बाना सुशासन, भौतिक अधोसंरचना, शिक्षा एवं स्वास्थ्य तथा अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार के चार स्तंभों इर्द-गिर्द बुना गया है। रोडमैप तैयार तैयार होने के समय उसमें इन चारों क्षेत्रों में आउटपुट एवं आउटकम का चिन्हांकन किया गया था। आज की स्थिति में प्रत्येक आउटपुट के लिए गतिविधियों एवं उप गतिविधियों का निर्धारण भी कर लिया गया है।
आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के नियमित अनुश्रवण एवं समीक्षा के लिए आत्म-निर्भर पोर्टल का भी निर्माण किया गया है। इस प्रकार मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के न भूतो न भविष्यति नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार का समय, संसाधन, सेवाएँ सभी अर्जुन के लिए आँख की भाँति एक ही उद्देश्य, एक ही लक्ष्य की ओर केंद्रित है और वह है आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वर्ष 21-20 के अपने बजट भाषण में जिन 6 स्तंभों का उल्लेख किया है, आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के चारों स्तंभ भी उनके ही अनुरूप है।
क्र | भारत सरकार के बजट स्तम्भ | राज्य सरकार के आत्म-निर्भरता स्तम्भ |
1 | भौतिक, वित्तीय एवं पूंजीगत अधोसंरचना का निर्माण | भौतिक अधोसंरचना |
2 | स्वास्थ्य और कल्याण | शिक्षा एवं स्वास्थ्य |
3 | आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास | अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार |
4 | नवप्रवर्तन, अनुसंधान और विकास | सुशासन |
5 | मानव पूँजी में नवजीवन का संचार | शिक्षा एवं स्वास्थ्य, अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार |
6 | मिनिमम गवर्नमेंट - मैक्सिमम गवर्नेंस | सुशासन |
इसी प्रकार आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के स्तंभ, नीति आयोग की शासी निकाय की बैठक में भारत के ट्रान्सफार्मेशन के लिये रखे गये छह सूत्रीय एजेण्डा के भी अनुरूप है।
क्र | नीति आयोग का ट्रान्सफार्मेशन एजेण्डा | राज्य सरकार के आत्म-निर्भरता स्तम्भ |
1 | मेकिंग इण्डिया ए ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब | अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार |
2 | रिइमेजनिंग एग्रीकल्चर | अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार |
3 | इम्प्रूविंग फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर | भौतिक अधोसंरचना |
4 | एक्सेलेरेटिंग हयूमन रिसोर्स डेव्हलपमेंट | शिक्षा एवं स्वास्थ्य, अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार |
5 | इम्प्रूविंग सर्विस डिलेवरी एट ग्रास रूट लेवल | सुशासन |
6 | हैल्थ एण्ड न्यूट्रिशन | शिक्षा एवं स्वास्थ्य |
आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के क्रियान्वयन और विभिन्न योजनाओं तथा कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की सतत समीक्षा के लिये एक मजबूत मॉनीटरिंग सिस्टम बनाया गया है। इस सिस्टम के अंतर्गत रोडमैप के क्रियान्वयन की मॉनीटरिंग के लिये आत्म-निर्भर पोर्टल, जिलों में विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं की प्रगति की मानीटरिंग के लिए सीएम डैशबोर्ड और राज्य स्तर पर वृहद परियोजनाओं की मासिक समीक्षा के लिए प्रगति एप बनाया गया है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों की स्थिति एवं संभावनाओं की समीक्षा के उद्देश्य से जीआईएस आधारित पोर्टल 'एमएलए डैशबोर्ड बनाया गया है। विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर प्रतिमाह स्वयं मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा कलेक्टर्स, कमिशर्स, आई.जी., एस.पी. आदि के साथ मैराथन समीक्षा की जाती है। इसके अलावा इस सिस्टम में जनता से टोल फ्री नम्बर पर प्राप्त होने वाली शिकायतों एवं समस्याओं का समाधान के लिये सीएम हेल्पलाईन, जिला स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र के रूप में जन-सुनवाई, चिन्हित सेवाएँ 24 घण्टे में उपलब्ध कराने के उद्देश्य से समाधान एक दिन, मोबाईल पर चिन्हित सवाएँ उपलब्ध कराने के लिए सी.एम. जनसेवा और चिन्हित शिकायतों का मुख्यमंत्री की निगरानी में निराकरण के समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम भी शामिल है।
आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश रोडमैप में चारों प्रमुख बिंदु - भौतिक अधोसंरचना, सुशासन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा तथा अर्थ-व्यवस्था एवं रोज़गार जैसे क्षेत्रों में वर्ष 2023तक किए जाने वाले कार्यों की सूची तय की गई है। इसमें कौन-सा काम कब तक पूरा होगा, इसकी समयावधि भी साथ में निश्चित की गई है। अलग-अलग क्षेत्रों में तय किए गए संकल्प इस प्रकार है:
*भौतिक अधोसंरचना*
सड़क: फ्लैगशिप योजनाओं का फास्ट ट्रैक विकास।सड़क विकास के लिये बेहतर विकास योजना एवं राजस्ववृद्धि के लिए 200सड़कों का साइंटिफिक ट्रैफिक सर्वे । अगले 6माह में प्रदेश के सभी टोल प्लाजा का कम्प्यूटीकरण एवं फास्ट टैग के जरिये ऑटोमेशन।अनुबंधों को समय-सीमा में पूरा करने और परियोजना लागत में वृद्धि को नियंत्रित करने संबंधी विवादों के निपटारे के लिए उच्च-स्तरीय बॉडी का गठन।सड़कों की प्राथमिकता तय करने और तकनीकी आधारित स्थिति के आकलन के लिये रोड ऐसेट मैनेजमेंट सिस्टम की स्थापना।
*यात्रा एवं पर्यटन*
'बफर में सफर' मुहिम के माध्यम से मानसून पर्यटन को बढ़ावा देना।2टाइगर सफारी विकसित करना (कान्हा/पेंच/बाँधवगढ़ में)अमरकंटक, रामायण सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, ओंकार सर्किट, नर्मदा परिक्रमा, रूरल सर्किट एवं ट्राइबल सर्किट जैसे थीम सर्किट को विकसित करना।निजी क्षेत्रों/निवेशकों को शामिल करके पर्यटन-स्थलों का वैल्यू एडिशन करना। अनुभव पर्यटन (जैसे रोप-वे. संग्रहालय, डायमंड टूर, साड़ी बनाना, एडवेंचर स्पोर्ट्स, एस्ट्रोनॉमी पार्क आदि के माध्यम से) कराते हुए पर्यटकों को आकर्षित करना।ग्रामीण पर्यटन, ट्राइबल पर्यटन, होम-स्टे आदि को बढ़ावा।पर्यटन स्थलों के आसपास रहने वाले 20हजार सेवाप्रदाताओं का कौशल संवर्धन।
*नगरीय विकास एवं आवास*
समावेशी शहरी विकास: पर्यावरण सहयोगी संवहनीय विकास सुनिश्चित करना।नगरीय सुशासन के लिए कानूनी और राजकोषीय सुधार।शहरी सेवा प्रदाय की गुणवत्ता में सुधार।नगरीय नियोजन के माध्यम से शहरी अर्थव्यवस्था मेंसुधार।
*जल*
पेयजल: मार्च 2021तक ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप वॉटर सप्लाई की उपलब्धता को राष्ट्रीय औसत से भी अधिक बढ़ाना। (वर्तमान औसत 17प्रतिशत, राष्ट्रीय औसत 26प्रतिशत)26 लाख घरों को वर्तमान वर्ष में कनेक्शन देना।वर्ष 2024तक मध्यप्रदेश के 100प्रतिशत ग्रामीण घरों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।नल, बिजली आदि की मरम्मत के लिए 50हजार मैकेनिकों को तीन वर्षों में प्रशिक्षित करना।
सिंचाई: नर्मदा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए आगामी तीन वर्षों में लगभग 15हजार करोड़ रुपये ऑफ बजट ऋण से एनबीपीसीएल द्वारा अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराना।चालू वर्ष में 4000करोड़ रुपये के ऋण की व्यवस्था।सिंचाई एवं नर्मदा विकास विभाग द्वारा आगामी एक वर्ष में 30हजार करोड़ रुपये के कार्यों का आवंटन करना।
*ऊर्जा*
नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बाँध पर टीबीसीबी रूट के माध्यम से 600मेगावॉट के फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट का विकास 3000करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से किया जाएगा। यह विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट होगा। मुरैना, छतरपुर, आगर, नीमच, शाजापुर जिलों में 18 हजार करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश किया जाएगा। 4 हजार 500 मेगावॉट के सोलर पार्कों का विकास टीबीसीबी रूट के माध्यम से 35ई.एच.वी. सब-स्टेशन और संबंधित ट्रांसमिशन सिस्टम का अनुमानित 2000 करोड़ रूपये के निजी निवेश से निर्माण।आगामी एक वर्ष में 4000करोड़ रुपये लागत की ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजना को पूर्ण करना। 45हजार सोलर पंप लगाए जाएंगे।
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