शनिवार, 13 मार्च को फाल्गुन मास की अमावस्या है। जब शनिवार को ये तिथि होती है तो इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार एक माह में दो भाग शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष होते हैं। एक पक्ष 15 दिनों का होता है। शुक्ल पक्ष में चंद्र बढ़ता है और कृष्ण पक्ष में चंद्र घटता है। अमावस्या पर चंद्र पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है। रविवार से फाल्गुन पक्ष का शुक्ल पक्ष शुरू हो जाएगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार चंद्र की सोलह कलाएं होती हैं। सोलहवीं कला को अमा कहते हैं। जब सूर्य और चंद्र एक साथ एक ही राशि में होते हैं, तब अमावस्या तिथि है। 13 मार्च को सूर्य और चंद्र कुंभ राशि में रहेंगे।
अमावस्या के संबंध में स्कंदपुराण में लिखा है कि-
अमा षोडशभागेन देवि प्रोक्ता महाकला।
संस्थिता परमा माया देहिनां देहधारिणी।।
इसका अर्थ ये है कि अमा को चंद्र की महाकला कहा गया है, इसमें चंद्र की सभी सोलह कलाओं की शक्तियां रहती हैं। इस कला का क्षय और उदय नहीं होता है।
अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें
- शास्त्रों में अमावस्या को पर्व कहा जाता है। इस तिथि पर घर में साफ-सफाई करनी चाहिए। घर में शांति बनाए रखें। क्लेश न करें। इस दिन घर में गौमूत्र का छिड़काव भी कर सकते हैं, इससे घर की पवित्रता बनी रहती है और नकारात्मकता दूर होती है।
- शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव के लिए विशेष पूजा जरूर करें। शनिदेव के सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं। ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें। तेल और काले तिल का दिन करें।
- अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव माने गए हैं। इसलिए अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध कर्म और, धूप-ध्यान और दान-पुण्य करने का महत्व है।
- अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। इस दिन मंत्र जाप, तप और व्रत करने की परंपरा है। सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
- अमावस्या पर किसी शिव मंदिर जाएं और तांबे के लोटे में जल भरकर अभिषेक करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। हनुमानजी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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