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चले घर की ओर:ऑटो से ही गुजर-बसर, इसी से1600 किमी का सफर

 

काेराेना संक्रमण के बढ़ने के बाद अब महाराष्ट्र से श्रमिक वर्ग ने परिवार सहित लाैटना शुरू कर दिया है। इन लाेगाें काे आशंका है कि कहीं सप्ताह में लगने वाला लाॅकडाउन अधिक अवधि के लिए न बढ़ा दें। इसी साेच के चलते मुंबई के मीरा राेड, बांद्रा और अन्य जगहाें पर ऑटाे चालाने वाले लाेग अपने वाहन से ही परिवार काे साथ लेकर सफर पर निकल पड़े।

इंदाैर-अहमदाबाद मार्ग पर शनिवार दाेपहर ओवरब्रिज की छांव में बच्चाें के खाने-पीने की व्यवस्था के लिए कुछ देर ठहरे। इन लाेगाें का कहना है कि उनका जीवन ही ऑटाे में कटता है, आज परिवार काे लेकर अपने घर उत्तरप्रदेश के कन्नाैज जा रहे हैं। उनका कहना है-अगर महाराष्ट्र में लंबा लाकडाउन लग गया तो हमारे खाने-पीने के लाले पड़ जाएंगे। बच्चों की जिम्मेदारी भी हम पर है, इसलिए कोई रिस्क नहीं ले सकते। हमारा गुजर-बसर ऑटो से ही चलता है, इसलिए इसी में बैठकर अपने घर की ओर जा रहे हैं।

बीते लाॅकडाउन का छह महीने का किराया बाकी है, ऑटाे की किस्त अलगमुंबई के मलाड, मीरा राेड क्षेत्र में ऑटाे चलाने वाले शान माेहम्मद, इमरान खान, माेहम्मद रिजवान ने बताया कि महाराष्ट्र में फिलहाल हफ्ते में शनिवार और रविवार काे लाॅकडाउन रहता है। जिस हिसाब से वहां संक्रमित सामने आ रहे हैं, इससे यह तय है कि लाॅकडाउन बढ़ाया भी जा सकता है। ऐसे में हमारी आफत हाे जाएगी। क्याेंकि जब काम ही नहीं हाेगा ताे घर के लाेगाें का पालन कैसे करेंगे। पहले ही मकान मालिक ने गत लाॅकडाउन का छह महीने का किराया हम पर निकाल दिया है। ऑटाे की किस्त भी भरनी पड़ती है। ऐसे में कहां जाएंगे। गत वर्ष लाॅकडाउन में बहुत मुश्किल से घर आ पाए थे।

दाेबारा वाे तकलीफ नहीं सहना चाहते। शुक्रवार की रात करीब 8 बजे निकले थे, 650 किमी का सफर कर चुके हैं। आगे और सफर करना है। कन्नाैज वहां से कुल 1600 किमी है। हम रात में भी नहीं रूकते हैं। हमारे साथ परिवार के सात लाेग हैं। शाहबाज ने बताया कि वाे बांद्रा में ऑटाे चलाता है। बच्चाें के खाने-पीने की व्यवस्था के लिए यहां कुछ देर के लिए ठहर गए। हम चाहते हैं उत्तरप्रदेश की याेगी सरकार उनके लिए भी कुछ करें। गांव में थाेड़ी बहुत खेती है लेकिन वाे सिंचित नहीं है। इसलिए अन्य शहराें में जाना पड़ता है।





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