- आकर्षक लगने से पुताई और प्लास्टर की नहीं होगी जरूरत, ईंट भी कम कीमत में तैयार होगी
आईआईटी इंदौर ने पत्थरों के चूरे यानी स्टोन वेस्ट से रंगीन ईंट बनाने की तकनीक खोजी है। संस्थान ने प्रयोगशाला में धौलपुर, जैसलमेर, कोटा और मकराना पत्थरों के चूरे और केमिकल से ये रंगीन ईंट बनाई है। संस्थान का दावा है रंगीन होने के कारण इन ईंटों से जुड़ाई के बाद प्लास्टर और पुताई की जरूरत नहीं होगी। इसकी जुड़ाई वैसे ही आकर्षक लगेगी। साथ ही नई ईंट की लागत 5 रुपए से भी कम आएगी, जबकि वर्तमान में बिक रही ईंटें 6 से साढ़े 6 रुपए में पड़ती है।
ऐसे कई कारणों से मकान बनाने की लागत में 35 फीसदी तक कम आएगी। आईआईटी के ग्रामीण विकास एवं तकनीकी केंद्र ने सिविल, मैकेनिकल इंजीनियरिंग और भौतिकी विभाग ने मिलकर इन्हें लैब में तैयार किया। संस्थान के प्राध्यापक डॉ. संदीप चौधरी, डॉ. राजेश कुमार और डॉ. अंकुर मिगलानी सहित शोधार्थी विवेक गुप्ता और देवेश कुमार के शोध को निर्माण सामग्री के जरनल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित किया गया है।
निर्माण में स्टील इंडस्ट्री के वेस्ट मटेरियल का भी उपयोग, दो परतों वाली हैं ईंटें
आईआईटी के अनुसार छात्रों ने ईंटें दो तरह के वेस्ट मटेरियल से तैयार की हैं। पत्थर के चूरे में स्टील इंडस्ट्री के वेस्ट मटेरियल को मिलाकर केमिकल से रंगीन कंपोजिट तैयार किया। इसका उपयोग ईंट बनाने में किया जा सकता। ये ईंट दो परतों वाली है। ऊपरी परत में मजबूत रंगीन कंपोजिट और निचली परत में सामान्य फ्लाई ऐश का उपयोग किया गया है।
डॉ. संदीप के अनुसार पहले से तैयार उत्पाद और वेस्ट मटेरियल के उपयोग पर संस्थान लंबे समय से काम कर रहा है। इसी के तहत ये ईंटें तैयार की हैं। हमारा मकसद ग्रामीण परिवेश में सस्ते आवास उपलब्ध करवाना है। आग में तपाकर बनाई ईंटें प्रदूषण का कारण भी होती हैं। डॉ. संदीप चौधरी के अनुसार इन ईंटों के उपयोग से प्लास्टर और पेंट की जरूरत न पड़ने से 35% लागत कम आने का अनुमान है। औद्योगिक स्तर पर 5 रुपए प्रति ईंट से भी काम लागत में इन्हें बनाया जा सकता है।
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