मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में जजेस की कमी हर महीने के साथ गहराती जा रही है। विगत 20 मार्च जस्टिस जेपी गुप्ता रिटायर हुए। इसके बाद चार अप्रैल को जस्टिस फरीम अनवर सेवानिवृत्त हो गए। इसके साथ ही जजेस की संख्या स्वीकृत पदों के मुकाबले आधी से भी कम रह गई है। स्थायी जजेस के 51 पद हैं, लेकिन इस समय 24 ही जज सुनवाई कर रहे हैं। नए जजेस के रूप में तीन नाम क्लियर हुए हैं, लेकिन इनके ज्वॉइन करने में काफी वक्त है। यही नहीं इस साल के अंत तक कुल चार जज और रिटायर हो जाएंगे। नए जजेस मिलने के बाद भी संख्या 50% से ज्यादा नहीं होगी।
दरअसल, 2019 और 2020 में कॉलेजियम ने कोई नाम मप्र के लिए क्लियर किए ही नहीं। इस बीच जजेस रिटायर होते चले गए और कुछ के ट्रांसफर मध्यप्रदेश से बाहर भी हो गए। पिछले एक वर्ष से सात वकीलों के नाम कॉलेजियम में अटके हुए थे। इनमें से महज तीन को ही हरी झंडी दी गई। बाकी नाम लौटा दिए गए।
इस साल छह जज और हो जाएंगे रिटायर
विगत 20 मार्च को जस्टिस जेपी गुप्ता रिटायर हुए। इसके बाद 4 अप्रैल को जस्टिस फहीम अनवर, 4 अगस्त जस्टिस एके श्रीवास्तव, 30 जून को जस्टिस बीके श्रीवास्तव, 31 दिसंबर को आरके श्रीवास्वत, 16 नवंबर को जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला रिटायर हो रहे हैं।
इंदौर खंडपीठ में 10 में सिर्फ 5 जज ही बचे हैं
इंदौर खंडपीठ में जजेस के 10 पद स्वीकृत हैं। इस समय पांच ही जज सुनवाई कर रहे हैं। इतने जज 1980 के दौर में हुआ करते थे। इसमें भी अगले कुछ महीनों में नए जज नहीं मिले तो संख्या घटकर 4 ही रह जाएगी। नवंबर में जस्टिस शुक्ला रिटायर हो जाएंगे। पिछले छह महीने में कई जज कम हो गए। जस्टिस एसके अवस्थी ने इस्तीफा दे दिया, जस्टिस वंदना कसरेकर का निधन हो गया। जस्टिस एससी शर्मा का तबादला कर्नाटक कर दिया। जस्टिस वीरेेंदर सिंह को जबलपुर भेज दिया। वरीयता में दूसरे पर होने होने की वजह से जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव जबलपुर चले गए।
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