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कैसी समझदारी सरकार?:सरकारी के 700 मरीजों के लिए 5000 रेमडेसिविर, निजी के 1500 को सिर्फ 350

 

इंजेक्शन बंटवारे के सरकारी फॉर्मूले ने कोरोना मरीजों की मदत करने के बजाय फजीहत कर दी है। कहने को सुबह नागपुर से 9600 रेमडेसिविर इंजेक्शन इंदौर आए। इनमें से 2748 इंजेक्शन शहर के मरीजों के लिए देने की बात हुई, लेकिन फिर दिनभर उसे यहां-वहां बंटवाते रहे। नतीजा यह हुआ कि शाम तक इंदौर के हिस्से में सिर्फ 350 इंजेक्शन रह गए। 86 निजी अस्पतालों में 1500 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें रेमडेसिविर की जरूरत है।

इनके बीच 350 इंजेक्शन कैसे बांटे जाए, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। हद यह है कि चार सरकारी अस्पतालों में भर्ती 700 मरीजों के लिए 5000 इंजेक्शन का स्टॉक है। यानी एक मरीज पर छह से ज्यादा इंजेक्शन हैं, लेकिन निजी में भर्ती 4 से ज्यादा मरीजाें के बीच सिर्फ एक इंजेक्शन मिल सकेगा। एमजीएम डीन डॉ. संजय दीक्षित के अनुसार, हमारे पास 4-5 हजार डोज रखे हैं, दवा शासन के फॉर्मूले से बांट रहे हैं।
रेमडेसिविर के बंटवारे का फार्मूला

  • 2748 इंजेक्शन इंदौर को देना तय हुआ
  • 1500 एमजीएम कॉलेज को दे दिए गए
  • 548 उज्जैन भिजवा दिए गए
  • 350 संभाग के सरकारी अस्पतालों को भेजे
  • 350 निजी अस्पतालों को भेजे गए।

नीति बदलने सांसद ने की सीएम से बात

फॉर्मूले से गड़बड़ाई स्थिति को लेकर सांसद शंकर लालवानी ने सीएम, एससीएस मो. सुलेमान से बात की। उन्होंने कहा, सभी मरीजों में समान रूप से बांटें।

दर-दर भटक रहे मरीजों के परिजन

सरकार द्वारा वितरण व्यवस्था हाथ में लिए जाने के बाद स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ी है। मरीज के परिजन दर-दर भटकने को विवश हो गए हैं। अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

टोसी पहले ही बाजार से पूरी तरह गायब
11, 12, 13 अप्रैल को 3000 इंजेक्शन निजी अस्पतालों को दिए थे। 14-15 अप्रैल को कुछ नहीं मिला। डोज में देरी से संक्रमण बढ़ने पर फिर टोसी की जरूरत पड़ती है, जो पहले से गायब है।

...कालाबाजारी जोरों से जारी है

हिमाचल में अवैध इंजेक्शन बना इंदौर बेचने लाया फार्मा कंपनी का मालिक

400 रेमडेसिविर जब्त

इधर, किल्लत बढ़ते ही शहर में रेमडेसिविर की कालाबाजारी बढ़ती जा रही है। गुरुवार को पीथमपुर स्थित फार्मा कंपनी इपोक के मालिक डॉ. विनय शंकर त्रिपाठी निवासी रानीबाग से 20 लाख रुपए के 400 इंजेक्शन जब्त किए गए। क्राइम ब्रांच एएसपी गुरुप्रसाद पाराशर के अनुसार वह हिमाचल में अवैध रूप से इंजेक्शन बनाकर यहां बेचने लाया था।

अगस्त से बिना अनुमति बना रहा

हिमाचल के धर्मशाला से पता चला कि आरोपी की सूरजपुर में ट्यूलिप फॉर्मूलेशन कंपनी है। यहां वह बिना परमिशन अगस्त 2020 से इंजेक्शन बना रहा था।
12 इंजेक्शन मिले

मेडिकल संचालक से ऊंचे दाम में खरीद एमआर ब्लैक में बेच रहा था इंजेक्शन

एसटीएफ ने चिड़ियाघर के पास रेमडेसिविर बेच रहे एमआर राजेश पिता जगदीश पाटीदार निवासी राऊ और उसके दोस्त ज्ञानेश्वर पिता धनराज बारसकर निवासी भमौरी को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में कबूल किया है कि ये इंजेक्शन वे विजयनगर स्थित राज मेडिकल के अनुराग पिता घनश्याम सिंह निवासी स्कीम 114 से खरीद कर लाए थे। तीनों से 12 इंजेक्शन जब्त किए गए हैं।

ग्राहक बनकर पहुंचा था सिपाही

एक सिपाही दोनों के पास ग्राहक बनकर पहुंचा। एडवांस देने पर आरोपियों ने इंजेक्शन दे दिया। इसके बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। बाद में अनुराग को भी पकड़ लिया गया।

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