अमेरिका की हाल की एंप्लॉयमेंट रिपोर्ट से सकारात्मक तस्वीर उभर रही है। पिछले महीने अमेरिका में 9 लाख से ज्यादा नई नौकरियां पैदा हुईं। अगस्त के बाद से यह काफी मजबूत आंकड़ा है। गूगल सहित कई निजी कंपनियों के आंकड़ों पर नजर डालें तो अमेरिका में लॉकडाउन के बाद रिकवरी की तेज शुरुआत हुई है। हालांकि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था महामारी के पहले के शिखर से काफी दूर है।
नौकरियों के ताजा आंकड़ों के बावजूद महामारी से पहले के स्तर से 80 लाख कम लोग नौकरी पर लौट पाए हैं। नौकरियां गंवाने वालों में सबसे बड़ी संख्या निम्न-आय वर्ग के लोगों और महिलाओं की है। एक तिहाई छोटे व्यवसाय अभी भी बंद हैं। गरीबी कोविड-19 से पहले के स्तर से काफी ज्यादा है, खासतौर पर अश्वेत समुदाय में।
स्कूल बंद होने से बच्चों की शिक्षा पर पड़ा असर दशकों तक जारी रह सकता है। सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा की है, जिसका असर दिखाई देने लगा है। सरकारी आंकड़े आने से पहले निजी क्षेत्रों के हाई फ्रीक्वेंसी डेटा इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। गूगल के मोबिलिटी डेटा का इस्तेमाल करके द इकोनॉमिस्ट ने आर्थिक गतिविधियों का इंडेक्स तैयार किया है। इसमें लोगों के काम पर, स्टेशन, रिटेल आउटलेट और मनोरंजन की जगहों पर जाने को मापा जाता है। महीने भर पहले यह इंडेक्स कोविड-पूर्व की आधार रेखा से 30% नीचे था। हाल के दिनों में यह इंडेक्स आधार रेखा से 20% ऊपर उठ गया है।
अन्य हाई फ्रीक्वेंसी डेटा भी इसी तरह का रुझान दिखा रहे हैं। मसलन, एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। फरवरी में रेस्त्रां में डिनर करने वालों की संख्या सामान्य से 48% कम थी। अब यह 18% कम रह गई है। होटलों का बिजनेस भी बढ़ रहा है। मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की गतिविधियां तेज हो रही हैं।
वैक्सीनेशन से मिल रही अमेरिकी अर्थव्यवस्था को रफ्तार
वैक्सीनेशन के चलते लोग बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकलने लगे हैं। लोग जब घूमने निकलते हैं तो उनकी जेब में काफी पैसा होता है। सरकार ने हाल ही में लोगों के बैंक खातों में प्रोत्साहन राशि जमा कराई है। इसकी कुल रकम लगभग 19 लाख करोड़ रुपए है। इसके अलावा लॉकडाउन की वजह से खर्च नहीं हो सका अरबों डॉलर भी लोगों के पास जमा है। जेपी मॉर्गन चेस के मुताबिक पेमेंट कार्ड से खर्च प्री कोविड लेवल पर पहुंच गया है।
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