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बीमा कंपनियां:अस्पताल में इंजेक्शन नहीं, बाहर से खरीदो तो क्लेम नहीं

 

शहर के निजि हॉस्पिटल कोविड मरीजों के इलाज में पीपीई किट, डिस्पोजेबल बेड शीट, मास्क, सैनिटाइजर और खाने के रोजाना 3 से 5 हजार रुपए बिल में जोड़े जा रहे हैं। मेडिक्लेम कंपनी ये राशि नहीं दे रही या उनमें भारी कटौत्री कर रही है। अस्पतालों में इंजेक्शन खासकर रेमडेसिविर उपलब्ध नहीं है और बाहर से खरीदने पर उनका क्लेम नहीं मिल रहा।

25 दिन तक सेटलमेंट के लिए इंतजार कराया जा रहा है। एक मेडिक्लेम कंपनी के मैनेजर ने डिस्पोजेबल और खाने पीने की राशि को क्लेम में शामिल नहीं करने का कारण हॉस्पिटल द्वारा ज्यादा पैसा वसूलना बताया है, जबकि दूसरे का कहना है कि 7 दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहने पर यदि 1 लाख का बिल बनता है तो इसमें 60 से 70 हजार दवाई व इंजेक्शन के होते हैं। बाकी 30 से 40 हजार डिस्पोजेबल आयटम के होते हैं।

मेडिक्लेम कंपनी के खिलाफ ऐसे कराएं शिकायत

  • स्टेट बार काउंसिल के को चेयरमैन जय हार्डिया ने बताया कि यदि कंपनी सही सर्विस नहीं देती है तो कस्टमर कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
  • सबसे पहले बीमा कंपनी के जीआरओ के पास लिखित शिकायत दर्ज कराएं।
  • जीआरओ से 15 दिन बाद भी संतोषप्रद जवाब न मिले तो बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण में शिकायत कर सकते हैं।
  • बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के टोल फ्री नंबर 18004254732 और 155255 पर कॉल कर सकते हैं।

बीमा लोकपाल से करें शिकायत
क्लेम मामलों के जानकार अभिभाषक बीके बागड़ी के मुताबिक यदि किसी उपभोक्ता को लगता है कि उसे क्लेम राशि का सही भुगतान नहीं हुआ है तो वह बीमा लोकपाल में शिकायत कर सकता है। मेडिक्लेम ले तो शर्तों को ध्यान से पढ़ें।

कटौती का कोई सिस्टम नहीं
नेहरू नगर निवासी विजय चौकसे ने बताया कि मेरे पापा 7 दिन एक निजी अस्पताल में भर्ती रहे। 1 लाख 20 हजार का बिल बना। मेडिक्लेम कंपनी ने फ्रेटर पॉलिसी, पीपीई किट आदि के नाम 40 हजार काट लिए। किस नियम से कटौती की, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। उधर, पूर्व खनिज मंत्री गोविंद मालू ने कंपनियों के इस रवैय की शिकायत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से की है।

केस- 1 : कंपनी बोली- कैशलेस था तो रुपए क्यों दिए?

एमजी रोड निवासी अमित चौरसिया के छोटे भाई 15 दिन भर्ती रहे। 2 लाख 70 हजार रुपए का बिल बना। हॉस्पिटल प्रबंधन ने डिस्चार्ज से पहले क्लेम के लिए अप्रूवल डाला था, जो 25 दिन बाद भी अब तक नहीं मिला। कंपनी से बात की तो जवाब मिला- आपकी गलती है। कैशलेस बीमा था तो हॉस्पिटल में पैसे जमा क्यों किए। पेमेंट प्रोसेस कर दिया है, लेकिन अब बिल की राशि का 35 प्रतिशत भुगतान कटकर मिलेगा।

केस- 2 : क्लेम सेटलमेंट में लगा दिए घंटों, 47 हजार काट भी लिए

खंडवा रोड निवासी अर्पित पांचाल की बुआ के क्लेम सेटलमेंट में घंटों लग गए। 4 दिन भर्ती रहने पर 1 लाख 40 हजार का बिल बना, कंपनी ने 93 हजार ही दिए। रेमडेसिविर के रुपए नहीं दिए। कंपनी ने बोला- हॉस्पिटल से बाहर से आपको यह नहीं खरीदना था।
केस- 3 : मेडिक्लेम कंपनी ने 40 हजार रुपए काट लिए
नेहरू नगर निवासी विजय चौकसे ने बताया कि मेरे पापा 7 दिन एक निजी अस्पताल में भर्ती रहे। इस दौरान 1 लाख 20 हजार रुपए का बिल बना था। मेडिक्लेम कंपनी ने फ्रेटर पॉलिसी, पीपीई किट और अन्य अनुपयोगी खर्चे बोलकर 40 हजार रुपए काट लिए।

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