Header Ads Widget

Responsive Advertisement

जीवन मंत्र:किसी व्यक्ति के प्रश्न का उत्तर देते समय मूल विषय से इधर-उधर न भटकें

 

कहानी - महात्मा गांधी जब जेल में रहते थे तो वे कई ऐसे काम करते थे,जिनसे जेल के अधिकारी  भी हैरान रह जाते थे। गांधी जी के सामने सम्मान से झुक जाते थे।

गांधी जी जेल में रहकर बच्चों के प्रश्नों के उत्तर दिया करते थे। देशभर से बच्चे गांधी जी को पत्र लिखते थे और गांधी जी भी सभी पत्रों को पढ़ते और उनके जवाब देते थे। वे इस बात का ध्यान रखते थे कि कोई पत्र ऐसा न रह जाए, जिसका जवाब न भेजा गया हो।

गांधी जी बच्चों को छोटे और सटीक उत्तर देते थे। उनके जवाब एक ही लाइन में होते थे। एक बच्चे ने उन्हें पत्र लिखा, 'बापू आप हमारे प्रश्नों के उत्तर तो बहुत अच्छे से देते हैं, लेकिन आपसे एक शिकायत है। आप बहुत छोटे उत्तर देते हैं। आप थोड़े बड़े उत्तर दीजिए ना।' बच्चे ने पत्र में एक उदाहरण भी लिखा, 'अर्जुन ने श्रीकृष्ण से एक छोटा सा प्रश्न पूछा था और श्रीकृष्ण ने 18 अध्याय की गीता में उस प्रश्न का उत्तर दिया था। आप भी उस गीता की व्याख्या करते हैं। हमें आप इतना छोटा उत्तर क्यों देते हैं? आप भी श्रीकृष्ण की तरह बड़े उत्तर दीजिए।'

बापू ने उस बच्चे को जवाब देते हुए पत्र लिखा, 'श्रीकृष्ण के सामने सिर्फ एक अर्जुन थे तो उन्हें उत्तर देने में कठिनाई नहीं हुई। मेरे सामने अनेक अर्जुन हैं तो बड़े उत्तर कैसे दे सकता हूं?'

जिन लोगों ने गांधी जी के इस पत्र को पढ़ा था, उन्होंने गांधी जी से पूछा कि आपने ऐसा उत्तर क्यों दिया?

गांधी जी ने कहा, 'प्रश्न हमेशा छोटा और स्पष्ट होना चाहिए और उसका उत्तर भी सटीक होना चाहिए। श्रीकृष्ण और अर्जुन का प्रसंग एक अपवाद है, लेकिन मेरे लिए सभी बच्चों को बड़े-बड़े उत्तर लिखना काफी मुश्किल है। छोटे और सटीक उत्तर देने से मेरे समय और ऊर्जा, दोनों की बचत होती है। मैं ज्यादा बच्चों को पत्र लिख पाता हूं।

सीख - हमें किसी से प्रश्न पूछना हो तो उसके मूल विषय से भटकना नहीं चाहिए। उत्तर देते समय ध्यान रखें जो पूछा गया है, उसी का उत्तर दें और उत्तर में समस्याओं का समाधान भी होना चाहिए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ