कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए राजधानी समेत पूरे देश में डॉक्टर रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए लिख रहे हैं। आलम यह है कि अधिकतर मरीजों को दवा लिखने से किल्लत हो गई है। दवा की कालाबाजारी तक शुरू हो गई है। अपनों की जान बचाने के लिए लोग हजारों रुपए तक खर्च करने को तैयार हो जा रहे हैं, जिनको यह दवा मिल जा रही है वो खुद को भाग्यशाली मान रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों की राय बिल्कुल अलग है।
डॉक्टरों का कहना है कि डेक्सामेथासोन भी एक कारगर और बेहतर दवा है। दोनों फेफड़ों में निमोनिया और गंभीर कोविड होने पर डेक्सामेथासोन भी दे सकते हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन का कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में कोई फायदा नहीं होता है।
एसएमएस अस्पताल के डॉ.रमन शर्मा के अनुसार रेमडेसिविर दवा तभी कारगर है जब उसे 7 से 9 दिन के बीच में दी जाए। मरीज की स्थिति मोडरेट, ऑक्सीजन का लेवल 93 से नीचे जाने और दोनों फेफड़े में निमोनिया होने पर ही रेमडेसिविर दवा का इस्तेमाल करें। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कारगर नहींं माना है। सात से 9 दिन के बाद सीवियर कैटेगरी में मरीज की गंभीर स्थिति में कोई भूमिका नहीं है। डेक्सामेथासोन या स्टेराइड एक कारगर दवा है। दोनों फेफड़ों में निमोनिया और गंभीर कोविड पर डेक्सामेथासोन भी दे सकते हैं।
रेमडेसिविर कोविड मैनजमेंट का एक हिस्सा है, जिसकी उपयोगिता पहले सात दिन में सबसे अधिक है। यह इंजेक्शन बीमारी की अवधि कम करता है। यह न तो जीवन रक्षक दवा है और न ही होने वाली मौतों की दर को घटा सकता। एक एंटीवायरल ड्रग है। संक्रमण के शुरुआती दिनों में कारगर साबित हो सकता है। संक्रमण अधिक फैलने पर फेफड़े खराब होने की स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है। सामान्य मरीजों को लगाने की आवश्यकता नहीं है। -डॉ.सुधीर भंडारी, प्राचार्य, एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर
रेमडेसीविर एंटीवायरल दवा है, जो सिर्फ पहले सप्ताह ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने पर बीमारी के समय असरदार है। मौतों को रोकने में नाकाम होने के कारण कुछ मरीजों को ही देनी चाहिए। यदि दवा नहीं भी मिले तो गम की बात नहीं है। डेक्सामेथासोन कोरोना इलाज की प्रभावी दवा है। स्टीरॉयड और खूून को पतला करने वाली जीवनरक्षक है, जिसका अधिकांश डॉक्टर इस्तेमाल कर रहे है। डॉक्टरों को विश्वास के साथ कहना चाहिए कि रेमडेसीविर दवा उपलब्ध नहीं होने पर मौत होने की रिस्क नहीं बढ़ती। -डॉ.वीरेन्द्र सिंह, श्वांस रोग विशेषज्ञ
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