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जीवन मंत्र:जैसी हमारी दृष्टि होगी, वैसी ही सृष्टि हमें दिखाई देगी, इसीलिए बुराइयों से बचें

 

कहानी - महाभारत में गुरु द्रोणाचार्य ने एक दिन सोचा कि मुझे कौरव और पांडव राजकुमारों के व्यवहारिक ज्ञान की परीक्षा लेनी चाहिए।

द्रोणाचार्य ने दुर्योधन को बुलाया और कहा, ‘तुम जाओ और नगर में से किसी एक अच्छे इंसान को खोजकर यहां ले आओ।’

दुर्योधन नगर में पहुंचा और कुछ देर बाद वह द्रोणाचार्य के पास लौट आया। दुर्योधन ने गुरु से कहा, ‘मुझे नगर में एक भी अच्छा इंसान दिखाई नहीं दिया।’

द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर से कहा, ‘अब तुम जाओ और नगर में से कोई एक बुरा इंसान खोजकर उसे यहां ले आओ।’

युधिष्ठिर नगर में गए और काफी खोजने के बाद भी उन्हें कोई बुरा इंसान दिखाई नहीं दिया। वह गुरु के पास लौट आए और ये बात बताई।

सभी शिष्य ये सब बहुत ध्यान से देख रहे थे, लेकिन किसी को कुछ समझ नहीं आया। कौरव और पांडवों राजकुमारों ने द्रोणाचार्य से कहा, ‘गुरुवर, कृपया बताएं और आपने ये प्रयोग क्यों किया?’

गुरु द्रोण ने कहा, ‘मैं तुम सभी को बस ये बताना चाहता हूं, जिसके अंदर जो होता है, उसे बाहर भी सब वैसा ही दिखता है। जैसी हमारी दृष्टि होगी, हमें सृष्टि वैसी ही दिखाई देगी। दुर्योधन के भीतर बुरा इंसान हावी है तो उसे सभी बुरे ही दिखे। इसीलिए वह किसी अच्छे इंसान को खोज नहीं सका। युधिष्ठिर के अंदर अच्छा इंसान हावी है तो उसे सभी इंसान अच्छे ही दिखे और इसीलिए वह बुरा व्यक्ति खोज नहीं सका। तुम सभी के अंदर की प्रति छाया ही बाहर आती है। इसीलिए मन में अच्छाई को जगाकर रखना। मन में जैसी भावनाएं होंगी, हमें बाहर के लोग वैसे ही दिखाई देंगे।’

सीख - हमारे अंदर एक अच्छा और एक बुरा इंसान है। ये हम पर निर्भर करता है कि हम अच्छे इंसान को या बुरे इंसान को हावी होने देते हैं। अगर हमारे भीतर का बुरा आदमी जाग जाए तो फिर वह बुरा ही बुरा देखेगा। अच्छा आदमी जागेगा तो हमें अच्छा ही अच्छा दिखेगा। हमें हर परिस्थिति में अच्छाई को जगाए रखना चाहिए।

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