शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने इंदौर को लेकर सोशल मीडिया पर लिखा है कि इंदौर प्लास्टिक फ्री बन रहा है। विगत सप्ताह अपने इंदौर प्रवास के दौरान स्वच्छता के क्षेत्र में किए जा रहे विभिन्न कार्यों के वीडियो भी उन्होंने पोस्ट किए। अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने लिखा इंदौर में स्वच्छता का कीर्तिमान स्थापित करने के अनेक प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। शहर के सभी वार्डों में शत-प्रतिशत डोर-टू-डोर संग्रह के साथ, कचरे को पूरी तरह से स्रोत पर अलग किया जाता है और अत्याधुनिक कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर पहुंचाया जाता है।
प्लास्टिक सहित सूखे कचरे को विभिन्न श्रेणियों में अलग किया जाता है। बर्तन बैंक, थैला बैंक, नेकी की दीवार जैसी पहल ने यहां के नागरिकों के बीच 3 आर- रिड्यूस, रीयूज और रिसाइकल के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया है। शहर में नदी-नाला टेपिंग कार्य द्वारा कान्ह और सरस्वती नदियों को पुनर्जीवित किया गया है। उन्होंने कहा कि इंदौर ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक बहुत ऊंचा स्तर निर्धारित कर दिया है और अन्य सभी शहरी स्थानीय निकायों के लिए इंदौर लाइट हाउस बन गया है।
गोबर सोे बना रहे गमले, पौधों के लिए उपयोगी
उन्होंने लिखा कि अधिकतम नर्सरी में पौधों की जड़ों और तनों को पकड़ने के लिए प्लास्टिक कवर का उपयोग किया जाता है, लेकिन इंदौर में बड़ी संख्या में मशीनों द्वारा गमलों के निर्माण के लिए गाय के गोबर का उपयोग किया जा रहा है। गोबर से बने गमले न सिर्फ पौधों की जड़ों को मजबूती देते हैं, बल्कि खाद भी प्रदान करते हैं।
मशीन बनाएगी एक दिन में गोबर के 2200 गमले
नगर निगम को गोबर के गमले देने के लिए एनजीओ की टीम अत्याधुनिक मशीन लगाने वाली है। संस्था बेसिक्स के श्रीगोपाल जगताप ने बताया अब तक 10 हजार गमले बनाकर निगम को दिए जा चुके हैं। हमें 1 लाख गमले देना है। इसके लिए आधुनिक मशीन लगाई जा रही है। इससे एक दिन में 2200 गमले तैयार होंगे। इससे कुछ ही दिनों में गमलों की मांग पूरी हो जाएगी। इसके अलावा निजी नर्सरी को भी यही गमले दिए जाएंगे।
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