चिरायु अस्पताल :लॉकडाउन के कारण कही आ-जा नहीं सकते
मुश्किल है मगर, वक्त ही तो...ये भी गुजर जाएगा। लेकिन यहां दिन-ब-दिन वक्त मुश्किल ही होता जा रहा है। अस्पतालों में मरीजों के साथ परिजन भी बेहाल हैं। कुछ 6 दिन से अपने परिजन के इलाज के इंतजार में अस्पताल में ही वक्त गुजारने को मजबूर हैं। न रहने का कोई ठिकाना है, न ही खाने का। लॉकडाउन ने परेशानी और बढ़ा दी है। विडंबना यह है कि शव लेने के लिए भी मरीज के परिजनों को इंतजार करना पड़ रहा है।
जेके अस्पताल; अस्पताल के पास में किराए के एक कमरे के मांगे 15 हजार रुपए
ये हैं गैरतगंज निवासी गाैरव जैन। जेके अस्पताल में पत्नी का इलाज करवाने आए हैं। जैन दिनभर अस्पताल परिसर में रहते हैं। कई बार रात भी यहीं गुजारते हैं। उन्होंने बताया कि 4 अप्रैल को उन्होंने पत्नी को अस्पताल में भर्ती किया था। आसपास के क्षेत्रों के घरों में कमरा किराए पर लेने के लिए गए। लोगों को बताया कि उनकी पत्नी का कोरोना का इलाज चल रहा है तो कुछ ने मकान किराए से देने से ही मना कर दिया तो कुछ लोग ऐसे भी थे जो तैयार हुए, लेकिन एक कमरे का किराया 15 हजार तक बताया। उनके साथ आए मुकेश ने बताया कि शुरुआत में बाहर ही सोए, रात भर मच्छरों ने बहुत काटा। लेकिन, मजबूरी में अब किया भी क्या जा सकता है। कोरोना काल ने मजबूर कर दिया है, अपने परिचितों के घर भी आ-जा नहीं सकते हैं।
अस्पतालों में भर्ती मरीज के परिजनों को मुफ्त में मिल रहीं ये परेशानियां
- बाहर से इलाज कराने के लिए यहां आए लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी खाने की हो रही है। लॉकडाउन के कारण होटल, रेस्तरां भी बंद हैं।
- कभी-कभी कुछ लाेग अपने रिश्तेदारों के घर चले जाते थे, लेकिन आवागमन के साधन न मिलने से वे अब कहां जाएं, इसलिए अस्पताल में ही डटे हैं।
- गर्मी के इस दौर में दिन तो पेड़ों की छांव में बीत जाता है, लेकिन रात अस्पताल के गर्म फर्श पर ही गुजारना पड़ रही है।
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