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तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक:1 महीने में 10 साल तक के 1764 बच्चे संक्रमित तीसरी लहर से लड़ने को बढ़ाएंगे सिर्फ 40 बेड

 

  • दूसरी लहर में बड़ा झटका सहने के बाद भी तैयारियां कमजोर

कोरोना की तीसरी लहर कब तक आएगी, कितनी घातक होगी, किसी को नहीं पता। आशंका है कि तीसरी लहर बच्चों पर असर दिखा सकती है। बावजूद इसके तैयारियाें में वह तेजी नजर नहीं आ रही है। गुरुवार को सरकारी अस्पतालों के इंतजामों के लेकर हुई बैठक में तीसरी लहर के लिए 200 बेड बढ़ाने का प्रस्ताव आया, इसमें भी बच्चों के लिए सिर्फ 40 बेड बढ़ाए जाएंगे।

सवाल यही है कि दूसरी लहर में बड़ा झटका खाने के बाद क्या हम सिर्फ इतने बेड बढ़ाकर तीसरी लहर का सामना कर पाएंगे। बीते एक माह में जिले में 10 साल तक के 1764 बच्चे संक्रमित हुए हैं। इनमें 11 से 18 साल के बच्चों की संख्या 3168 है। बीते साल मार्च से अब तक 12 हजार 459 बच्चे कोराेना के शिकार हुए।

नेशनल फेमिली हैल्थ सर्वे-4 के अनुसार, 19 साल से कम उम्र के लोगों की संख्या 35% है। इंदौर की आबादी 40 लाख मान रहे हैं। यहां इस उम्र की आबादी 12 लाख है। बीते अप्रैल से 12 मई तक संक्रमण दर 17.27% रही। बच्चों में भी यही दर मानें तो दो लाख से ज्यादा बच्चों में संक्रमण का डर है। राहत की बात है कि 80 से 85% बच्चे घर पर ही ठीक हो सकते हैं।

बड़ी चुनौती ये भी: बच्चों के लिहाज से ट्रेंड स्टाफ ही नहीं

  • मुंह व नाक से स्वॉब लेकर सैंपल जांच के लिए भेजा जाता है। यह बड़ों को भी असहज करता है। बच्चों की सैंपलिंग कैसे होगी।
  • माता-पिता कैसे समय पर बच्चों में लक्षणों को पहचाने यह भी चुनौती।
  • बच्चों की सैंपलिंग के लिए प्रदेश में प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है।
  • बच्चों के लिए वेंटीलेटर का संचालन, इनक्यूबेशन सहित अन्य प्रक्रियाएं अलग होती है। बच्चों के ही विशेषज्ञ ही कर सकते हैं।
  • बच्चों के लिए वे दवाइयां नहीं दी जा सकतीं, जो बड़ों को दी जा रही हैं। हालांकि सामान्य फ्लू की दवाइयों से ही वे ठीक हो जाएंगे। बशर्ते उसकी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

यही वह उम्र जो टीकाकृत नहीं, इसलिए सावधानी जरूरी
पिछले साल वायरस का स्ट्रेन बच्चों के लिए माइल्ड था इसलिए उन पर ज्यादा असर नहीं हुआ। दूसरी लहर में वे संक्रमण का शिकार हुए। हालांकि पहली लहर में बुजुर्ग सबसे ज्यादा संक्रमण की चपेट में आए।

इसके बाद उनका टीकाकरण हुआ, मगर इस बार 30 से 40 साल के बीच की आबादी अधिक संक्रमित हुई। अब उनका टीकाकरण भी शुरू हो चुका है। एकमात्र बच्चे बचे हंै जिन्हें टीका नहीं लगा है। इस वजह से उन्हें लेकर ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।

वैक्सीन के ट्रायल की तैयारी

विदेशों में बच्चों में मल्टी सिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम रिपोर्ट हो रहा है। वहां बच्चों के लिए वैक्सीन की तैयारी जल्द शुरू हो गई। शिशु रोग विशेषज्ञों के मुताबिक 80 प्रतिशत बच्चों में बीमारी का पता भी नहीं चलता।आकलन कर रहे हैं कितने बेड बढ़ा सकते हैं- शिशु और स्त्री रोग विभाग के विशेषज्ञों को तीसरी वेव की तैयारियों के लिए बुलाया था। सभी को निर्देश दिए हैं कि वे अस्पतालों में कितने बेड बढ़ा सकते हैं, उसका असेसमेंट करें। -डॉ. पवन शर्मा, संभागायुक्त


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