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ब्लैक फंगस इन्फेक्शन की दवाई खत्म:कभी देश में 1 साल में 2000 इंजेक्शन बिकते थे, अब इंदौर में ही रोज 1500 की मांग

 


ब्लेक फंगस के मामले बढ़ने के साथ ही इसके इलाज में काम आने वाली दवाइयां बाजार से गायब हो गई हैं। मरीज के परिजन डॉक्टर की पर्चियां लेकर एक से दूसरी दुकान पर भटक रहे हैं, लेकिन दवाई कहीं नहीं मिल पा रही है।

संक्रमण का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि पहले देश में पूरे एक साल में बमुश्किल दो हजार इंजेक्शन बिकते थे, लेकिन अब इंदौर में ही हर दिन 1500 से ज्यादा इंजेक्शन की मांग है। स्थिति यह है कि कंपनियों के पास स्टॉक खत्म हो गया है। जर्मनी में मरीज बढ़ने से कच्चे माल की आवक भी बंद हो गई है। शहर में अब तक करीब ढाई सौ मरीज सामने आ चुके हैं।

रोज आ रहे 8-10 नए केस, एमवायएच में 18 मरीज

एमवायएच में ब्लैक फंगस इंफेक्शन के 18 मरीज भर्ती हैं। दो सौ से ढाई सौ मरीज अब तक सामने आ चुके हैं। यूं तो एंटी फंगल दवाइयां कई हैं, लेकिन ब्लैक फंगस के लिए एम्फोसिटिरिन-बी, पोसाकोनाजोल, आईसेबुकोनाजोल इंजेक्शन दे रहे हैं। ढाई से तीन लाख का काेर्स एक मरीज को लग रहा है।

एक इंजेक्शन की कीमत छह से साढ़े छह हजार है। एक मरीज को रोज चार से पांच वायल लगाना पड़ते हैं। 30 से 35 हजार का खर्च आता है। उधर, प्रशासन जल्द 20 लोगों की एक टीम तैनात करने जा रहा है जो कोरोना से उबरे लोगों पर नजर रखेगी। ताकि ब्लैक फंगस की आशंका को जल्दी पकड़ सकें।

संक्रामक नहीं ब्लैक फंगस, लेकिन मृत्युदर 55% तक
मेडिकल कॉलेज में एचओडी मेडिसिन डॉ. वीपी पांडे के अनुसार, ब्लैक फंगस कोरोना की तरह संक्रामक नहीं है। कोविड में मृत्युदर 1 से 2% होती है, लेकिन म्यूकरमाइकोसिस में 55 फीसदी है। समय पर इलाज न मिले तो ना सिर्फ आंख जा सकती है बल्कि मौत भी हो सकती है।

एक सप्ताह भी नहीं टिका शहर का स्टॉक

ब्लैक फंगस के इंफेक्शन में काम आने वाली दवाइयों के बारे में रेसीडेंसी पर सांसद शंकर लालवानी, कलेक्टर मनीष सिंह व 6 प्रमुख दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों, डॉक्टर आदि की आपात बैठक बुलाई गई। इसमें फाइजर के प्रतिनिधि ने बताया कि कंपनी के पास केवल 50 वायल और 50 कैप्सूल ही उपलब्ध हैं।

अगली खेप कब आएगी नहीं पता। डॉक्टरों ने बताया कि ब्लैक फंगस के रोज 8 से 10 मरीज आ रहे हैं। एक मरीज को औसत 90 से 100 इंजेक्शन लगते हैं। रिटेल केमिस्ट ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष मनीष जैन कहते हैं कि शहर में जो भी स्टॉक था दवाई का वह एक सप्ताह भी नहीं टिक पाया।

कालाबाजारी रोकने, सीधे अस्पतालों में भेजेंगे इंजेक्शन
सांसद लालवानी ने बताया कि कच्चे माल की उपलब्धता को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन, ड्रग कंट्रोलर जनरल डॉ. वीजी सोमानी, सीएम शिवराजसिंह चौहान को पत्र भी लिखा है। कालाबाजारी ना शुरू हो जाए इसलिए इसे भी सीधे अस्पतालों में पहुंचाएंगे।

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