रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट (रेरा) की सुस्ती ने पूरे मप्र के रियल एस्टेट सेक्टर के साथ आमजन को मुश्किल में डाल दिया है। सितंबर में चेयरमैन पद से एंटनी डिसा की विदाई के बाद छह माह तक केवल चेयरमैन पद रिक्त होने से प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन नंबर जारी होना बंद हो गए।
जब नए चेयरमैन एपी श्रीवास्तव ने पद संभाला तो बीते छह माह में कई तकनीकी, विधिक पद पर नियुक्त व्यक्ति रिटायर हो गए। इन सभी के चलते रेरा का पूरा सेटअप अब तक जम नहीं पाया है। इसके कारण करीब 25 हजार करोड़ के 451 प्रोजेक्ट सिर्फ एक रजिस्ट्रेशन नंबर जारी नहीं होने से अटक गए हैं।
इनमें इंदौर के करीब 160 प्रोजेक्ट हैं। इन प्रोजेक्ट से 50 हजार लोगों का सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार जुड़ा है। जब इस मामले में भास्कर ने रेरा चेयरमैन श्रीवास्तव से जानना चाहा कि यह कब तक अटके रहेंगे और क्या प्रक्रिया की जा रही है तो उन्होंने सिर्फ यही कहा कि जब होगा तो आपको बता देंगे। वहीं करीब 50 दिन की रोक के बाद 1 जून से निर्माण गतिविधियां फिर शुरू होना हैं। ऐसे में नंबर नहीं होने से फिर इनकी खरीदी-बिक्री प्रभावित होगी।
शहर में डेढ़ सौ से ज्यादा प्रोजेक्ट से 50 हजार से ज्यादा लोगों का रोजगार जुड़ा
रेरा नंबर नहीं होने का मतलब... तैयार मकान, फ्लैट भी नहीं बेचे जा सकते
1. कोई भी प्रोजेक्ट में खरीदी-बिक्री नहीं हो सकती है। ऐसे में ग्राहक को मकान, फ्लैट का सौदा करना भी हो तो भी वह बिक नहीं सकता।
2. प्रॉपर्टी की बिक्री नहीं होने से बिल्डर के पास प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए राशि भी नहीं आती है, जबकि नंबर होने पर निर्माण की विविध चरणों में वह खरीदार से राशि लेकर प्रोजेक्ट को पूरा करता है। इससे प्रोजेक्ट भी तेजी से पूरा होता है।
3. बिल्डर के पास जब तक खर्च करने की स्थिति होती है वह निर्माण कराता है। इसके बाद बुकिंग नहीं होने से प्रोजेक्ट रुकता है। ऐसे में लागत बढ़ती है, क्योंकि श्रमिकों को भुगतान देना होता है, माल महंगा होता है।
काम शुरू कराने का यह है रास्ता... अस्थायी नंबर जारी कर दें
साल 2016 में जब रेरा शुरू हुआ, तब भी अस्थायी नंबर जारी किया गया था। यह नंबर जारी करने की सुविधा और अधिकार हमेशा से रेरा के पास है। क्रेडाई इंदौर के चेयरमैन लीलाधर माहेशवरी, प्रेसीडेंट नवीन मेहता, सचिव विजय गांधी ने रेरा चेयरमैन को पत्र लिखकर अस्थायी नंबर जारी कर करने की मांग की है, ताकि प्रोजेक्ट चल सकें। माहेश्वरी का कहना है कि अस्थायी नंबर जारी करने से नुकसान कुछ नहीं है, लेकिन नहीं करने से सरकार से लेकर ग्राहक, बिल्डर और पूरे
प्रदेश को आर्थिक स्तर पर नुकसान है।
सरकार को नुकसान... करोड़ों रुपए का जीएसटी और पंजीयन शुल्क नहीं मिलेगा
रियल एस्टेट सेक्टर के साथ 100 से ज्यादा सेक्टर सीमेंट, सरिया, लोहा, सेनेटरी आइटम, पेंट, फर्नीचर, इलेक्ट्रिक्स आदि जुड़े होते हैं। इसकी बिक्री से सरकार को जीएसटी मिलता है। प्रोजेक्ट बिकने पर पंजीयन शुल्क भी मिलता है, लेकिन प्रोजेक्ट के रुकने से इन सभी का नुकसान हो रहा है।
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