- सूरत में ग्लूकोज और नमक से बने 1200 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की जो खेप आरोपी सुनील मिश्रा ने मंगवाई थी, उसमें से 200 से ज्यादा इंजेक्शन इंदौर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीजों को लग भी गए हैं। यह खुलासा आरोपी मिश्रा की काॅल डिटेल रिकॉर्ड में मिले नंबरों से हुआ है।
हालांकि पुलिस अधिकारी आंकड़ा बताने से बच रहे हैं। पुलिस 60 से ज्यादा ऐसे लोगों से संपर्क कर चुकी है, जिन्होंने सुनील से इंजेक्शन मंगवाए थे। अभी तक पुलिस के पास 6 परिवार नकली इंजेक्शन से परिजन की मौत की जानकारी लेकर सामने आ चुके हैं। एसपी आशुतोष बागरी ने बताया कि आरोपी मिश्रा ने 1200 में से 700 नकली इंजेक्शन इंदौर में बेचने की बात कबूली है।
आरोपी बोला- 700 में से 200 से ज्यादा नकली इंजेक्शन दवा बाजार में बेचे
आरोपी सुनील ने पुलिस को बताया कि उसने 700 में से 100 इंजेक्शन दवा बाजार से जुड़े आरोपी कुलदीप सांवलिया के जरिए दो दवा कारोबारी गौरव केसवानी, गोविंद गुप्ता को बेचे हैं। दवा बाजार के दलाल चीकू शर्मा, सुनील लोधी और आशीष ठाकुर ने भी 100 से ज्यादा इंजेक्शन सुनील से लिए थे।
उन्हें सांवेर, देवास, महू के कुछ मेडिकल कारोबारी व मरीजों के परिजन को बेचे हैं। सुनील लोधी ने 10 इंजेक्शन अपने परिचितों को लगवा भी दिए। गौरव ने पुलिस को बताया कि 20 इंजेक्शन वह अपने एमआर व परिचितों को बेच चुका है। वहीं गुलरेज नामक व्यक्ति ने भी 50 इंजेक्शन लिए हैं। सभी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
लालच में मानवता लगाई दांव पर... दवा माफिया कौशल वोरा और पुनीत के साथ फार्मा कंपनी खोलना चाहता था सुनील
एसपी ने बताया आरोपी सुनील मिश्रा ग्लव्ज, मास्क और सैनिटाइजर की दलाली करता था। इसी दौरान वह वेबसाइट इंडिया मार्ट से जुड़ा। इसके जरिये 1 साल पहले उसका परिचय सूरत के दवा माफिया कौशल वोरा और पुनीत शाह से हुआ। फिर ये आपस में व्यापार भी करने लगे।
कोरोना में जब रेमडेसिविर की किल्लत बढ़ी तो सुनील से कुछ लोगों ने इंजेक्शन की मांग को लेकर संपर्क किया। इस पर उसने कौशल व पुनीत से बात की तो दोनों ने उसे सूरत मिलने बुलाया। वहां दोनों ने सुनील को अपने ठाठबाट, लग्जरी कारों व बड़े होटलों में ठहरने के जलवे दिखाए और इंजेक्शन की उपलब्ध कराने की हामी भर दी।
कौशल ने उसे एक फार्मा कंपनी में पार्टनर का ऑफर भी दिया। इससे वह उन पर विश्वास कर उनसे जुड़कर काम करने लगा। कौशल और पुनीत सूरत से सुनील मिश्रा को मुंबई बुलाकर अपने फार्महाउस पर तैयार नकली इंजेक्शन देने लगे। पहली बार में दोनों आरोपियों ने उसे असली रेमडेसिविर और कंपनी के रजिस्ट्रेशन व अन्य सर्टिफिकेट भी दिखाए।
फिर 700 नकली इंजेक्शन 3 से 4 हजार रुपए में दी। इन्हें वह इंदौर ले आया और यहां दवा बाजार के दलाल चीकू, कुलदीप, सुनील लोधी के जरिए व्यापारियों को बेचे। मुनाफा होने से काफी मात्रा में इंजेक्शन के ऑर्डर दिए, लेकिन कौशल और पुनीत उसे इंजेक्शन की किल्लत बताकर समय पर डिलीवरी नहीं देते थे।
एसआईटी को लगाया नकली इंजेक्शन रैकेट की जांच में
एसपी बागरी ने बताया कि इंदौर में आरोपियों को पकड़ने, इनके नकली इंजेक्शन मरीजों को लगने और डाक्यूमेंटेशन जुटाने के लिए भूमाफिया की धरपकड़ के लिए गठित की गई एसआईटी को जांच में लगाया है। अब तक टीम 500 इंजेक्शन का हिसाब जुटा चुकी है। 50 से ज्यादा नकली इंजेक्शन जब्त किए है।
अब तक की जांच में जो कॉल डिटेल मिली है उनमें अधिकांश पीड़ित, दवा कारोबारी और समाजसेवी इनसे जुड़े थे। इसके अलावा कौशल वोरा और पुनीत शाह को प्रोडक्शन वारंट पर टीम गुजरात से लेने के लिए भेजी है।
नकली इंजेक्शन बेचने वालों को निगम के नोटिस
नकली इंजेक्शन खरीदकर लोगों को ऊंचे दामों में बेचने वाले आरोपी दिनेश बंशीलाल चौधरी और धीरज साजनानी को नगर निगम ने पुलिस के पत्र के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इनकी संपत्ति को लेकर इनसे दस्तावेज मांगे हैं। यदि संपति अवैध पाई जाएगी तो उसे तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी।
हत्या का केस दर्ज करने के लिए आईजी-डीआईजी को पत्र
आईजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि नकली इंजेक्शन बेचने और कालाबाजारी करने वाले 21 आरोपियों पर रासुका लगाने का प्रस्ताव प्रशासन को भेजा है। वहीं आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करने के लिए एडवोकेट पंकज वाधवानी ने आईजी व डीआईजी को पत्र लिखा है।
आरोपी के माता-पिता और भाई-भाभी कोरोना संक्रमित
सुनील मूल रूप से रीवा का है। उसने यूपीएससी प्री क्लियर भी कर ली, लेकिन 2012 में मेंस क्लियर नहीं कर सका। इसके बाद उसने खंडवा रोड पर खुद का सुपर मार्केट खोला। उसके पिता रावेंद्र मिश्रा एमपी टूरिज्म में मैनेजर के हैं। लिंबोदी में रहने वाले माता-पिता और भाई-भाभी कोरोना संक्रमित हैं।
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