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मानवता के बड़े दुश्मन:मरीज की मौत के बाद बचे रेमडेसिविर बेचते, 1200 नकली इंजेक्शन खपाए

 

 इंजेक्शन, दवा की कालाबाजारी करने वाले 12 गुनहगार गिरफ्त में।

कोरोना में जीवनरक्षक इंजेक्शन और दवाइयों की कालाबाजारी करने वाली दो गैंग से जुड़े 12 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं। आरोपी रुपयों के लालच में मानवता को शर्मसार कर रहे थे। एक गैंग अस्पतालों में मरीज की मौत के बाद बचे हुए रेमडेसिविर ब्लैक में बेच रही थी तो दूसरी गैंग नकली रेमडेसिविर अपनों की जान बचाने की जद्दोजहद में लगे जरूरतमंदों को खपा देती थी। सभी आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने रासुका की कार्रवाई के लिए कलेक्टर को प्रस्ताव भेजा है।

विजय नगर पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपियों की एक गैंग गुजरात के सूरत में नकली दवाएं बनाने वाले गिरोह से जुड़ी है। इस गिरोह से पूछताछ के बाद गुजरात के कारोबारी सुनील मिश्रा को भी विजय नगर पुलिस ने हिरासत में लिया है। मिश्रा अपने फार्म हाउस पर नकली इंजेक्शन तैयार करवाता था। करीब 1200 इंजेक्शन व दवाओं के कुछ बॉक्स इसने इंदौर व जबलपुर में अपनी गैंग के बदमाशों को दिए थे। इसमें से एक हजार इंजेक्शन इंदौर में गैंग के सदस्य धीरज (26) पिता तरुण साजनानी और दिनेश (28) बंसीलाल चौधरी निवासी अनुराग नगर ने खपाना कबूले हैं। इन्हें पूर्व में ही गिरफ्तार कर चुके हैं। इनकी निशानदेही पर सुनील मिश्रा तक पहुंचे।

ये हैं नकली इंजेक्शन; जो आरोपी सुनील मिश्रा द्वारा उसके फार्म हाउस पर तैयार कर इंदौर में बेचे गए थे

12 बॉक्स इंजेक्शन और जरूरी दवाओं के सरगना ने इंदौर व जबलपुर में अपनी गैंग को दिए थे। एक बॉक्स में 100 इंजेक्शन थे।
12 बॉक्स इंजेक्शन और जरूरी दवाओं के सरगना ने इंदौर व जबलपुर में अपनी गैंग को दिए थे। एक बॉक्स में 100 इंजेक्शन थे।

ऐसे कर रहे थे अपराध : सोशल मीडिया के जरिए तलाशते थे जरूरतमंदों को, फिर करते थे सौदेबाजी
एसपी पूर्व आशुतोष बागरी ने बताया कि दूसरी गैंग इंदौर में एसएनजी हाॅस्पिटल से जुड़ी है। आरोपी रेमडेसिविर व टॉसीलिजुमैब (टॉसी) इंजेक्शन 35 से 40 हजार में सोशल मीडिया के जरिए जरूरतमंदों को बेचते थे। 6 मई की रात दो आरोपी आनंद (27) पिता अशोक झा निवासी गंगुला थाना बनी पट्टी बिहारी और महेश (41) पिता बसंत लाल चौहान निवासी नर्मदा कॉलोनी जबलपुर को 2 रेमडेसिविर के साथ गिरफ्तार किया था। आरोपी आनंद झा एसएनजी अस्पताल में हाउस कीपर है।

वह मानवता नगर में रह रहा था। महेश खुद को डॉक्टर बताता है। वह वर्तमान में नेनोसिटी लसूड़िया में रहता है। इन्हें टीम ने रोबोट चौराहे के पास 2 रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ गिरफ्तार किया। दोनों ने कबूला कि ये इंजेक्शन ब्लैक में मेदांता, भंडारी और अपोलो हॉस्पिटल के मरीज के परिजन को बेचने जा रहे थे। 30 अप्रैल 2021 को विजय नगर पुलिस टीम ने आरोपी धीरज (26) पिता तरुण साजनानी निवासी स्कीम 114 व दिनेश (28) पिता बंसीलाल चौधरी निवासी अनुराग नगर को गिरफ्तार किया था। इनसे पूछताछ में आरोपी प्रवीण, असीम भाले इंजेक्शन उपलब्ध करवा रहे थे। इसमें प्रवीण और असीम को भी सहआरोपी बनाकर गिरफ्तार किया तो पता चला इन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन सूरत में स्थित नकली दवा फैक्टरी से दिए जा रहे थे। इसमें फैक्टरी संचालक सुनील पिता रावेंद्र मिश्रा तैयार करवाकर उपलब्ध करवा रहा था।

मुख्य सरगना को गुजरात से लाई पुलिस
टीआई तहजीब काजी की टीम ने गुजरात पुलिस की मदद से सुनील मिश्रा को हिरासत में लिया। शुक्रवार को गुजरात पुलिस की टीम आरोपी सुनील को इंदौर लेकर आई। पूछताछ में उसने बताया कि सूरत में एक अन्य आरोपी के साथ मिलकर उसने अपने फार्म हाउस पर ही नकली दवा व इंजेक्शन तैयार करने की फैक्टरी डाली थी। दूसरी लहर में रेमडेसिविर व टॉसी इंजेक्शन की मांग बढ़ने पर वह फार्म हाउस पर संचालित फैक्टरी में नकली इंजेक्शन तैयार करने लगा था। उसने कुल 1200 इंजेक्शन तैयार करवाए थे। इसमें इंदौर में अपने से जुड़े आरोपियों की मदद से 1 हजार नकली इंजेक्शन भी खपाए हैं। 200 इंजेक्शन जबलपुर भेज चुका है।

बांग्लादेश से लाया गया रेमडेसिविर भी बिक रहा था
शुक्रवार को बांग्लादेश के एक रेमडेसिविर इंजेक्शन को 28000 में बेच रहे एक युवक को अपर कलेक्टर अभय बेडेकर ने पकड़वाया। पकड़े गए युवक का नाम टीपू सुल्तान है।

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