- लॉकडाउन से विदेशी बाजार बंद होने का भी असर
सोयाबीन और मूंगफली तेल के दाम ऐतिहासिक ऊंचाई हासिल करते हुए 150 और 165 रुपए लीटर तक पहुंच गए हैं। कोरोना काल में पिछले साल मार्च से अब तक सोया तेल ढाई गुना महंगा हो गया है। पिछले साल लॉकडाउन के पहले मार्च में करीब 68 रुपए लीटर भाव थे। इस बढ़ोतरी की बड़ी वजह हमारी तेल को लेकर इम्पोर्ट पर निर्भरता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव करीब दोगुना बढ़ गए हैं। देश में सोयाबीन का उत्पादन भी करीब 40 लाख मीट्रिक टन घट गया है। इन कारणों से तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इन दिनों मलेशिया का इंटरनेशनल मार्केट भी काेविड के कारण पूरी तरह से लॉक है। आगे भी माल की शॉर्टेज रहेगी। इसी वजह से दाम पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इंदौर शहर में प्रति दिन 200 टन तेल की खपत होती है।
30% उत्पादन हमारा, लेकिन अधिकांश प्लांट बंद हैं, मुश्किल से 10% हो रहा है
शांति ओवरसीज के चेयरमैन मुकेश कचौलिया के मुताबिक सोयाबीन तेल के भाव 1500 रुपए प्रति 10 लीटर है। पोर्ट डिलीवरी डिगम (इम्पोर्टेड सोया क्रूड) 1440 रु. है। देश में जरूरत का करीब 30% उत्पादन होता है, लेकिन अभी सिर्फ 10% हो पा रहा है।
इंटरनेशनल मार्केट के भाव ने तोड़ी कमर
सोपा डायरेक्टर डीएन पाठक का कहना है कि हम 70% तक सोयाबीन तेल इम्पोर्ट करते हैं। सालभर पहले तक 700 डॉलर (51379.65 रु) प्रति टन तेल आयात कर रहे थे वह अब बढ़कर 1390 डॉलर (102012.10 रु) प्रति टन हो गया है।
प्रति परिवार 400 रु प्रतिमाह का बोझ बढ़ा
चार सदस्यों के परिवार को महीने में औसत 5 लीटर तेल लगता है। पहले उसे महीने के 340 रुपए खर्च करना पड़ते थे। अब 150 रु लीटर के हिसाब से 750 खर्च करना पड़ रहे हैं।
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