कोरोना बीमारी के इलाज में स्टेरायड ही सबसे अहम दवा है। इससे म्यूकर होने की आशंका 5 से 10 प्रतिशत है, लेकिन यदि मरीज का शुगर लेवल कंट्रोल कर लिया जाए तो यह संख्या एक से दो प्रतिशत रह जाएगी। सही मात्रा में यह देना चाहिए। मरीज का शुगर लेवल 180 से कम होना चाहिए। यह बात नई दिल्ली एम्स से मनीष सोनेजा ने म्यूकर मायकोसिस के प्रिवेंशन, ट्रीटमेंट और रिस्क फैक्टर पर हुए वेबिनार में कही। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इंदौर ने राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्यक्रम किया। इसमें बीमारी के लक्षण, एम्फोसिटिरिन-बी की उपलब्धता और स्टेरॉयड व इंडस्ट्रीयल ऑक्सीजन के इस्तेमाल आदि विषयों पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम में अनूप निगम, राजशेखर पांडे, डॉ. सतीश जोशी, डॉ. मनोज बंसल, डॉ. नटवर शारडा सहित 400 डॉक्टर्स शामिल हुए। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जयलाल ने एम्फोसिटीरिन-बी की उपलब्धता जल्द से जल्द कराने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।
50 % उन मरीजों के ऑपरेशन जिन्हें कोविड के साथ ब्लैक फंगस भी हुआ
चंडीगढ़ से डॉ. वरुण धीर ने मिथाइल पेंडेसलोन की डोज के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक हाई डोज नहीं देना चाहिए। गुरुग्राम से डॉ. केके हांडा ने बताया कि प्रारंभिक जांच जल्दी होना चाहिए। बीमारी को जल्द नेजल एंडोस्कोपी करना चाहिए। इससे बीमारी जल्दी पकड़ में आती है।
डॉ. हांडा ने कहा कि जितना जल्दी हो सके, ईएनटी डॉक्टर को दिखाए। जैसे नाक से ब्लीडिंग होना, काला डिस्चार्ज, एक साइड में सुन्नपना, सूजन, दांत दर्द या दांत से डिस्चार्ज होना आदि में एंडोस्कोपी होना चाहिए। उन्होंने बताया कि वे खुद रोज 10-12 म्यूकर मायकोसिस की सर्जरी कर रहे है। उनमें से पांच ऐसे होते है जो कोविड पॉजिटिव हैं, यानी कोविड पॉजिटिव मरीज की भी रोज सर्जरी हो रही है, जिन्हें म्यूकर है।
- मुंबई के डॉ. अक्षय नायर ने ब्लैक फंगस के असर और इलाज के बारे में बात की। कब और कितनी जल्दी सर्जरी करना है, क्योंकि आंखों तक म्यूकर पहुंचता है, तब तक देर हो चुकी होती है।
- शंकर नेत्रालय के डॉ. राजीव रमण ने पैनल डिस्कशन में हिस्सा लिया। डॉ. राजीव ने बताया कि आई-इंजेक्शन बहुत इम्पॉर्टेंट है। यदि आंख में लक्षण मिले है। मतलब हम लेट हो चुके हैं। आंख में लक्षण आने से पहले ही ब्लैक फंगस को पहचानना है।
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