खड़वा से 30 किमी दूर ग्राम गांधवा। 6300 की आबादी वाले इस गांव के बाजार और गलियों में दिन-रात चहल-कदमी रहती है। सुबह-शाम ओटलों पर बुजुर्गों का जमावड़ा लगा रहता है। यह गांव प्याज के लिए मशहूर है, लेकिन कोरोना के प्रभाव के कारण डेढ़ माह से यहां सन्नाटा छाया हुआ है। गांव में सिर्फ एक बार मुनादी हुई।
उसके बाद लोगों ने खुद को होम क्वारेंटाइन कर लिया। सुबह 8 से 11 बजे तक केवल जरूरतमंद लोग बाहर निकलते हैं। न तो यहां पुलिस बाजार बंद करवा रही है न ही किसी से घर में रहने की अपील की जा रही है। डेढ़ माह में 20 लोगों की मौत होने के बाद लोग खुद ही संभल गए। हालांकि पूरे गांव में सर्दी, खांसी व बुखार का प्रकोप है, लेकिन लोग डरे नहीं। जिस मोहल्ले में संक्रमण फैला उधर जाना बंद कर दिया। संक्रमित मोहल्ले के लोगों ने भी दूसरे मोहल्ले में जाना बंद कर दिया। जिससे संक्रमण फैलने से बच गया।
रविवार दोपहर सवा एक बजे गांव की गलियों में भास्कर टीम घूम रही थी, तभी आशीष पाटीदार और मुश्ताक मंसूरी एक घर में बैठे हुए थे। आशीष ने बताया कि मंदिर चौक, हनुमान चौक व गांव के पटेल आवार से संक्रमण की शुरुआत हुई। डेढ़ महीना हो गया। दूसरी लहर की शुरुआत में ही गांव में एक बुजुर्ग की कोरोना से मौत हो गई। इसके बाद एक के बाद एक नंबर लगता गया।
अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। गांव के ज्यादातर लोगों का इलाज महाराष्ट्र के औरंगाबाद, जलगांव व बुरहानपुर-खंडवा में हुआ। मौत होने पर अंतिम संस्कार भी वहीं पर हुआ। गांव के स्वास्थ्य केंद्र में एंटीजन टेस्ट, आरटीपीसीआर की कोई व्यवस्था नहीं है।
वह तो शुक्र है आसपास के गांव के डॉक्टरों का सर्दी-खांसी की गोलियां खिलाकर ज्यादातर लोगों को ठीक कर दिया, नहीं तो हर सर्दी-खांसी, बुखार वाले मरीज को लोग कोरोना का मरीज समझ दूर भागते थे। कोरोना के लक्षण वाले लोग अलग ही दिख रहे हैं। लोगों को यह समझ आ गया है कि घर में रहने से ही सब कुछ ठीक होगा। गांव में जिन लोगों को कोरोना हुआ है वह महाराष्ट्र व आसपास के शहरों में होकर आए थे। इस कारण एक-दूसरे के संपर्क में आने से संक्रमण तेजी से फैला।
पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की जरूरत ही नहीं पड़ी इन गांवों में
पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लोगों से घरों में रहने की अपील की जा रही है, वहीं गांधवा में पुलिस की जरूरत ही नहीं है। गांधवा से लगे सिंगोट, मोरधड़, खिड़गांव, ऐड़ा अर्दला, पाडल्या, सराय, भीलखेड़ी में भी लोग कोरोना कर्फ्यू का पालन कर रहे हैं। इन गांवों में कोरोना नहीं है। बावजूद इसके एहतियात बरती जा रही है।
लापरवाही से गांव में फैला कोरोना
गांव वालों के मुताबिक कोरोना की पहली लहर में गांव में एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ था। इस बार काफी लापरवाही बरती गई। गांव के कुछ व्यापारियों का दौरा औरंगाबाद, जलगांव व बुरहानपुर के आसपास हुआ। इसी बात से अंदाजा लगाया जा रहा है कि महाराष्ट्र का संक्रमण गांव तक पहुंचा। हालांकि किसी भी मरीज की हिस्ट्री नहीं निकाली गई।
पंचायत भवन में नहीं है रिकार्ड
कोरोना से मरने वालों का रिकार्ड पंचायत भवन में नहीं है। गांव का हर कोई व्यक्ति मौत का आंकड़ा अलग बता रहा है। डेढ़ महीने में कोई 50-60 बता रहा है तो कोई 40-50, जबकि हकीकत में यहां 20 से 25 मौतें हुई हैं। ग्राम पंचायत के सचिव शैलेंद्र पाटीदार ने बताया कि हमारे पास मृतकों का आंकड़ा नहीं है। अब तक करीब छह लोगों की मृत्यु की जानकारी मिली है।
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