शिप्रा नदी के तट पर पिछले डेढ़ माह से अस्थियां विसर्जन के लिए लाेग पहुंच रहे हैं, जिससे गंदगी हाे रही। इस गंदगी काे शिप्रा नदी बचाओ समिति के सदस्य पिछले 20 दिनाें से एक दिन छाेड़कर साफ कर रहे हैं। नगर निगम देवास की टीम ने एक बार घाट पर आकर सफाई कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली, उसके बाद नजर नहीं आए।
जबकि नदी में प्रतिदिन 5 से 10 लाेग अस्थियां विसर्जन के लिए पहुंच रहे हैं। कर्मकांड करने के बाद तट और नदी में सामग्री फेंककर चले जाते हैं, यही नहीं वहीं पर ही कुछ लाेग अपने बाल भी कटवा रहे हैं। इस वजह से भी गंदगी फैल रही है। नदी गंदी नहीं हाे इसके लिए समिति के सदस्य सफाई कर रहे हैं। शिप्रा नदी बचाओ समिति के राजेश बराना ने बताया कि तट पर कर्मकांड के बाद वहीं छाेड़ी सामग्री से पानी प्रदूषित हाे रहा था, जिसे समिति के मुकेश जाटव, कमल जोशी, रमेश सोलंकी, मुकेश परमार, अंबाराम नरवरिया, नंदूप्रजापत, विजय चौधरी नगोरा आदि ने साफ कर दिया।
गाैरतलब है कि 15 दिन पहले राेजाना 200 तक लाेग तट पर अपनाें के तर्पण और अस्थियां विसर्जन के लिए पहुंच रह थे, महामारी का असर कम हाेने से अब संख्या काफी कम हाे चुकी है। लाेग मृत व्यक्ति के कपड़े, उनके बिस्तर और अस्थियां लेकर सुबह से पहुंच, वहीं छाेड़ जाते हैं।
नगर निगम देवास शहर के पेयजल के लिए नदी के पानी का उपयाेग कर रहा है। हालांकि डेम से तट की दूरी काफी हाेने से निगम के अधिकारी पानी प्रदूषित नहीं हाेने का दावा कर रहे हैं। वैदिक रीति-रिवाजों के साथ परिजन मृतक के कपड़े और बिस्तरों को नदी में विसर्जित किया जा रहा, जिससे शिप्रा क्षेत्र में ग्रामीणाें काे महामारी का अंदेशा लग रहा है।
शिप्रा ग्राम के धर्मेंद्र जायसवाल और उनके साथियाें ने बताया, अस्थियां विसर्जन करना धार्मिक अनुष्ठान है, इसके लिए प्रशासन काे अलग से व्यवस्था करना चाहिए, जिससे पानी प्रदूषित नहीं हाे। सरपंच प्रतिनिधि विश्वास उपाध्याय का कहना है कि नगर-निगम काे शिप्रा डेम से सिर्फ जल लेना ही आता है, साफ-सफाई नहीं करवाई जाती।
गणेशाेत्सव, दुर्गा विसर्जन के अलावा धार्मिक अवसरों पर श्रद्धालुओं द्वारा विसर्जन सामग्री से होने वाली गंदगी को ग्राम पंचायत शिप्रा-सुकल्या ही सफाई करवाती है। इस मामले में निगमायुक्त विशालसिंह चाैहान ने कहा कि सफाई मित्राें की टीम ने तट साफ किए थे, फिर से साफ करवाए जाएंगे। विसर्जन की अलग से व्यवस्था की प्लानिंग की जाएगी।
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