ग्लूकोज -नमक के नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार करने वाले आरोपियों ने रविवार को अधिकारियों के सामने कबूला कि मात्र 80 रुपए में तैयार किए गए नकली इंजेक्शन को जब उन्होंने बेचना शुरू किया तो तीन दिन में ही उनके पास एक करोड़ की राशि इकट्ठा हो गई।
इतनी राशि अचानक से आती देख कौशल वोरा को नींद आना तक बंद हो गई थी। इसी कारण इन्होंने अगले ही दिन ठाणे के विनय गौरे को 1 लाख वॉयल (शीशी) बनाने का ऑर्डर दे दिया था। इस पर उसने 200 वॉयल मुफ्त में ही बनाकर दे दी थी।
मप्र में सुनील तो अहमदाबाद में कल्पेश से बिकवाए
टीआई तहजीब काजी ने बताया कि 80 रुपए में तैयार यह इंजेक्शन आरोपी 2 से 3 हजार रुपए में बेच रहे थे। इसके अलावा कई इंजेक्शन इन्होंने 6 से 8 और उससे भी अधिक की कीमत पर बेचे तो पैसों की भरमार इनके पास आने लगी। इसी कारण इन्होंने खुद की एनएस (सलाइन) तैयार करने की फार्मा कंपनी खोलने का निर्णय ले लिया था।
सुनील को भी अपने साथ एक फार्मा कंपनी में पार्टनर बनाने का ऑफर दे दिया था। आरोपियों ने कबूला कि नकली इंजेक्शन के लिए मप्र में सुनील मिश्रा तो अहमदाबाद में कल्पेश प्रजापति को अपना मुख्य एजेंट बनाया था। इन्हीं के जरिए ये इंजेक्शन को बाजार में बिकवाते थे। आरोपी वोरा, पुनीत शाह, सुनील मिश्रा और कुलदीप सांवलिया का 26 मई तक पुलिस रिमांड पर हैं। वहीं आरोपी प्रशांत पाराशर का रिमांड सोमवार को खत्म हो जाएगा।
प्रिंटिंग कारोबारी की मौत में डॉक्टर से होगी पूछताछ
राऊ की श्रमिक कॉलोनी में रहने वाले प्रिंटिंग कारोबारी प्रवीण जैन की मौत के मामले में आरोपित डॉक्टर केसी पाटीदार को भी पुलिस पूछताछ के लिए बुलाएगी। मृतक के परिजन का आरोप है कि डॉक्टर ने ढाई लाख रुपए लेकर नकली इंजेक्शन लगाए थे, जिससे ही मौत हुई है।
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