'तारक मेहता का उल्टा चश्मा ' फेम जेठालाल उर्फ दिलीप जोशी 52 साल के हो गए हैं। 26 मई 1968 को उनका जन्म पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। दिलीप जोशी को आज लोग जेठालाल के नाम से जानते हैं, लेकिन वे 'मैंने प्यार किया' (1989), 'हम आपके हैं कौन' (1998), 'फिर भी दिल है हिंदुस्तानी' (2000), 'हमराज' (2002) और 'फिराक' (2008) जैसी 10 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं।
इसके अलावा 'गलतनामा' (1994), 'दाल में काला' (1998), 'हम सब एक हैं' (1998-2001), 'हम सब बाराती' (2004), 'FIR (2008) और 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' (2008-अब तक जारी) उनके कुछ चर्चित टीवी सीरियल्स हैं।
दिलीप ने भी काफी संघर्षों के बाद एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई है। उनकी मानें तो एक वक्त था, जब उन्हें कोई काम नहीं देता था। वे कमर्शियल थिएटर में बैकस्टेज आर्टिस्ट के तौर पर काम करने को मजबूर थे। यह खुलासा उन्होंने एक इंटरव्यू में किया था।
50 रुपए में रोल करना पड़ता था
बकौल दिलीप जोशी, "मैंने करियर की शुरुआत कमर्शियल स्टेज में बैकस्टेज आर्टिस्ट के तौर पर की थी। कोई मुझे रोल नहीं देता था। मुझे प्रति रोल 50 रुपए मिलते थे। लेकिन उस समय थिएटर करने का पैशन था। मैंने इस बात की परवाह नहीं की कि मुझे बैकस्टेज रोल मिलते थे। बड़े रोल भविष्य में मिलेंगे, लेकिन मैं थिएटर से चिपका रहना चाहता था।"
स्टेज शो किए एक दशक से ज्यादा बीता
दिलीप जोशी की मानें तो उन्हें स्टेज प्ले किए हुए एक दशक से ज्यादा का वक्त बीत गया है। वे कहते हैं, "मैंने 25 साल तक गुजराती थिएटर में काम किया। मेरा आखिरी प्ले 'दया भाई' था, जो 2007 में पूरा हुआ था।"
'तारक मेहता...' के बाद व्यस्तता बढ़ गई
बकौल दिलीप जोशी, "2008 में मैंने 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के लिए रविवार समेत हर दिन 12-12 घंटे शूटिंग शुरू की। थिएटर के लिए आपको अलग तरह का अनुशासन चाहिए। आपके पास वीकेंड के साथ-साथ वीक-डेज में भी शो होते हैं। इसलिए थिएटर और टीवी को मैनेज करना मुश्किल हो गया। मैं थिएटर को बहुत मिस करता हूं।"
0 टिप्पणियाँ