विजय नगर पुलिस ने ऐसे ही दो गिरोह के छह बदमाशों को पकड़ा है जो सोशल मीडिया पर समाजसेवी ग्रुप बनाकर लोगों से रेमडेसिविर इंजेक्शन, जरूरी दवाएं और ऑक्सीजन बेड दिलाने के लिए संपर्क करते थे। फिर उनसे मोटी रकम वसूलते थे। आरोपियों में अधिकांश मेडिकल फील्ड से जुड़े नर्स, अस्पताल मैनेजर, एंबुलेंस चालक और मेडिकल स्टोर में काम कर चुके कर्मचारी हैं।
टीआई तहजीब काजी के मुताबिक, दोनों गिरोह सोशल मीडिया पर इंजेक्शन, जरूरी दवाएं और बेड की उपलब्धता के लिए नाम व नंबर देते थे, जैसे ही कोई पीड़ित संपर्क करता तो ये गिरोह के उन लोगों के पास पहुंचा देते जो इंजेक्शन के ज्यादा रुपए लेकर बेचने की बात करते। गैंग में एक निजी अस्पताल का मैनेजर भी है। बदमाशों से प्रिया नाम की एक लड़की की भी जानकारी मिली है जो इनकी मदद करती थी। इसके अलावा कई समाजसेवी संगठन से जुड़े लोग, महिला व डॉक्टर की भी पड़ताल की जा रही है।
झांसे में आकर एक युवक गिरवी रखने वाला था घर
टीआई ने बताया बदमाशों के गिरफ्त में आते ही एक पीड़ित ने मुझसे संपर्क किया। बदमाशों ने उसे भी समाजसेवा के नाम पर टारगेट किया था। इंजेक्शन और बेड के लिए उसे इस कदर फंसाया कि वह अपना मकान तक गिरवी रखने को तैयार हो गया था। पुलिस ने फोन करने वाले को प्रकरण में फरियादी बनने के लिए कहा, लेकिन उसने मना कर दिया। उसका कहना था वह वैसे ही परेशान है। कानूनी लफड़े में नहीं पड़ना। पुलिस अन्य पीड़ित तलाश रही है, ताकि आरोपियों को सख्त सजा हो सके।
इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस ने नई सिम ली, कारोबारी बनकर संपर्क किया
गिरोह की सूचना मिलने पर खुफिया टीम के जवानों को नई मोबाइल सिम देकर उसमें ट्रू कॉलर पर उन्हें जैन और अग्रवाल परिवार से कारोबारी बताकर इनसे संपर्क कराया। दिनेश एक इंजेक्शन 35 हजार में बेचने आया तो उसे पकड़ लिया। उसके जरिए धीरज को पकड़ा तो उससे पता चला उसकी बहन निजी अस्पताल में डॉक्टर है, लेकिन अभी उसकी कालाबाजारी में भूमिका स्पष्ट नहीं हुई है। उसकी कॉल डिटेल चेक करने के बाद सबूतों के आधार पर उसे आरोपी बनाएंगे। धीरज संभ्रांत परिवार से है। आर्थिक रूप से भी सक्षम है। पुलिस उसे गिरफ्तार करने पहुंची तो उसने दरवाजा नहीं खोला। बहन ने एक एडवोकेट बुलाकर पुलिस पर काफी दबाव भी बनाया, लेकिन सबूतों के आधार पर धीरज को गिरफ्तार किया है।
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