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ब्लैैक फंगस :ब्लैक फंगस के 8 ऐसे मरीज मिले, जिन्हें नहीं पता कोरोना कब हुआ

 शहर में ब्लेक फगस का एक और डरावना रूप सामने आया है। ब्लैक फंगस के आठ ऐसे मरीज मिले हैं, जिन्हें नहीं पता कि उन्हें कोराना हुआ भी था या नहीं। उनमें सीधे ब्लैक फंगस के लक्षण सामने आए। इन मरीजों को लेकर डॉक्टर्स भी हैरत में हैं। इन्हें लेकर शुक्रवार को संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा द्वारा गठित डॉक्टरों की कमेटी की बैठक हुई।

इसमें तय किया गया कि पहले इन मरीजों की एंटीबॉडी का टेस्ट किया जाएगा। इससे यह पता चल पाएगा कि इन्हें कोरोना हुआ था या नहीं। डॉक्टर्स का कहना है कि ये संभव है कि इन्हें कोरोना का हल्का संक्रमण हुआ हो, जिसके कारण इन्हें कोई लक्षण प्रकट नहीं हुए और ये ठीक भी हो गए।

डॉ. शर्मा ने कहा कि कमेटी को इनकी जांच के लिए दो दिन का समय दिया गया है। यह भी बात सामने आई है कि 25 फीसदी मरीज ऐसे थे, जिनका उपचार होम आईसोलेशन में हुआ और उन्हें ब्लैक फंगस का संक्रमण हो गया।

मरीज बढने से एमवाय मेंदो फ्लोर कर दिए
ब्लैक फंगस के मरीज बढने के बाद एमवाय में 164 मरीज हो गए हैं, इसके चलते संभागायुक्त के निर्देश पर एमवाय में दो फ्लोर इन मरीजों के लिए कर दिए हैं और 175 की क्षमता वाला वार्ड बना दिया है। एंडोस्कोपी सर्जरी के लिए नए यंत्र भी खरीदे जा रहे हैं, जिससे तेजी से मरीजों की सर्जरी व उपचार किया जा सके।
डीन के साइन के बाद निजी स्टाकिस्ट से मिल रहे इंजेक्शन
संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने बताया कि इसकी दवा कम आ रही है, इसलिए डीन की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी है, यह कमेटी अस्पताल की ओर से आए मरीज के लिए आई मांग को देखती है और फिर डीन इसमें मंजूरी देते हैं, इस आधार पर निजी स्टाकिस्ट द्वारा उपलब्ध वायल के आधार पर एक या दो दिन के अधिकतम दस डोज एक बार में दिए जाते हैं।

वहीं डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि शुक्रवार को इंजेक्शन नहीं थे, इसलिए किसी के आवेदन नहीं लिए, अस्पताल प्रबंधन को बता दिया है कि उनके माध्यम से ही आवेदन आना चाहिए। वहीं इंजेक्शन की व्यवस्था के प्रभारी व एकेवीएन एमडी रोहन सक्सेना ने कहा कि औसतन 70-80 वायल निजी में आ रहे हैं, जो डीन की मंजूरी के बाद जारी हो रहे हैं, इनके सभी के रिकार्ड रखे जा रहे हैं।

15 साल की किशोरी भी ब्लैक फंगस की शिकार, ऑपरेशन करना पड़ा

उधर, अभी तक ब्लैक फंगस वयस्क और बुजुर्गों में ही देखने को मिल रहा था, लेकिन शहर में 15 साल की एक किशोरी में भी ब्लैक फंगस का संक्रमण पाया गया। इतनी कम उम्र में बीमारी की चपेट में आने का यह पहला मामला है। किशोर सनावद की रहने वाली है और उसके माता-पिता उसे लेकर 17 मई को चोइथराम अस्पताल आए थे।

उसकी बाईं आंख नहीं खुल रही थी। डॉ. अभिक सिकदर ने एंडोस्कोपी की तो नाक में ब्लैक फंगस का पता चला। किशोरी 20 दिन पहले ही कोरोना संक्रमित हुई थी। उसका शुगर लेवल भी बढ़ा हुआ था। सनावद के डॉक्टरों से बात की तो पता चला सिर्फ तीन दिन बेहद कम मात्रा में स्टेरायड दिए गए थे। जांच में तीन महीने पहले भी शुगर बढ़ी होने की बात सामने आई।

एंटीबॉडी जांच से होगा खुलासा

  • कुछ ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिन्होंने कहा कि उन्हें कोविड नहीं हुआ। जांच में उनमें कोरोना एंटीबॉडी मिली। कई बार संक्रमण से इम्युनिटी कमज़ोर हो जाती है। फेरेटिन लेवल बढ़ने से आयरन की मात्रा बढ़ जाती है। इससे भी मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ सकता है। - डॉ. सौरभ मालवीय, जॉइंट सेक्रेटरी, आईएमए

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