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विपत्ति और ज्यादा बढ़ने की चेतावनी:ब्राजील और मेक्सिको में भी ऑक्सीजन कमी

 

महामारी का एक भयावह पहलू अभी हाल में सामने आया है। खासकर भारत, ब्राजील, मेक्सिको सहित विश्व के कई देशों में लोग ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे हैं। कई गरीब देशों में मेडिकल उपयोग के लिए जरूरी ऑक्सीजन की सप्लाई का ढांचा नहीं है। इसलिए गरीब देशों और दूर-दराज के इलाकों में मरीज और अस्पताल ऑक्सीजन टैंकरों के महंगे विकल्प पर निर्भर हैं। वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों में ऑक्सीजन टैंकरों की कमी महसूस की जा रही है। महामारी के दौरान ऑक्सीजन सप्लाई कभी सरकारों की प्राथमिकता सूची में नहीं रही। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ ऑक्सीजन की कमी पर काम कर रही ग्लोबल संस्था यूनिटेड के प्रोग्राम डायरेक्टर रॉबर्ट मतिरू कहते हैं, ऑक्सीजन को जरूरी महत्व नहीं दिया गया।

सिलेंडर से सप्लाई दस गुना महंगी पड़ती है
अमीर देशों में अस्पताल लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए टैंकरों पर निर्भर करते हैं। फिर इन्हें बड़े कंटेनर में स्टोर कर पाइप के जरिये हर बिस्तर तक पहुंचाया जाता है। यह ऑक्सीजन सप्लाई का सबसे सस्ता तरीका है। कई कंपनियां उद्योगों की बजाय अस्पतालों में ऑक्सीजन दे रही हैं। भारत सरकार ने भी इंडस्ट्री की जगह अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई शुरू करा दी है। कई देशों में अस्पतालों में पाइपों का सिस्टम ना होने से लिक्विड ऑक्सीजन का उपयोग नहीं हो पाता है। इसके स्थान पर सिलेंडरों से सप्लाई होती है। यह विकल्प लिक्विड ऑक्सीजन की तुलना में दस गुना महंगा है।

इस साल की शुरुआत में उत्तर ब्राजील, मेक्सिको और कुछ अन्य स्थानों में ऑक्सीजन की कमी जानलेवा हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऑक्सीजन की कमी पर एक इमर्जेसी टास्क फोर्स बनाया है। ग्लोबल सहायता समूह के अनुसार पिछले दो माह में विश्व में हर दिन मेडिकल ऑक्सीजन की कमी 90 लाख क्यूबिक मीटर से तीन गुना बढ़कर दो करोड़ 80 लाख क्यूबिक मीटर हो गई है। यानी ऑक्सीजन की इतनी जरूरत पूरी नहीं हो सकी है। इसमें से लगभग आधी कमी भारत में है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारत जैसी विपत्ति अन्य देशों में भी आ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है, अस्पतालों में हवा के दबाव को सोखकर पीएसए टेक्नोलॉजी का उपयोग करने वाले प्लांट होना चाहिए। इन्हें लगाने वाले अस्पतालों को मरीज के बिस्तर तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए पाइप लगाने की व्यवस्था करनी होगी। पीएसए प्लांट और ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बनाने वाली कंपनियों ने दुनियाभर में उत्पादन बढ़ाया है लेकिन इसमें भी समय लगता है।


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